रविवार, 12 अप्रैल 2009

समाजवाद ना माओवाद- नेपाल में 'प्रेम वाद'

नेपाल में इन दिनों जिस एक वाद की खूब चर्चा है,
वह ना समाजवाद है, ना मार्क्सवाद, ना माओवाद, ना राष्ट्रवाद.
इस नए तरह के वाद का नाम है, प्रेम वाद. जो 'मनुष्य' को 'मनुष्यता' से प्रेम करने की सीख देता है.
नेपाल यात्रा के दौरान जगह-जगह प्रेम वाद का विज्ञापन देखने को मिला. लेकिन जब इन विज्ञापन कर्ताओं के सम्बन्ध में जानने की इच्छा हुई तो कोई बताने को तैयार नहीं.
एक माओवादी नेता ने दिल्लगी की- 'माओ के राज में 'प्रेम' की बात करते हुए शर्म नहीं आती.'

4 टिप्‍पणियां:

नीरज गोस्वामी ने कहा…

काश "प्रेम वाद" दीवारों की जगह हम सब के दिलों पर लिखा जाये...दिलचस्प पोस्ट...
नीरज

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

सारी दुनिया इसी से चल रही है, इस के बिना तो घर भी नहीं चल सकता।

prabhat gopal ने कहा…

layout badal liye ashish. acha raha.

राजीव जैन ने कहा…

धांसू जानकारी

पर अब तो पता कीजिए कि ये प्रेमवाद कौन फैला रहा है

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम