tag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post7660305351650071141..comments2023-10-17T01:05:42.304-07:00Comments on बतकही: सब धोबी के कुत्ते निकलेआशीष कुमार 'अंशु'http://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-27856290588238214182009-06-17T22:03:51.057-07:002009-06-17T22:03:51.057-07:00कहां से निकले
घर और घाट पर
तो मिलते नहीं है
कुत्त...कहां से निकले<br />घर और घाट पर<br />तो मिलते नहीं है<br />कुत्ते नहीं ...<br />मुगालता हुआ होगा<br />कुत्ते वैसे भी<br />नहीं करते ठाठ<br />कहा जाएगा<br />सोलह दूनी आठ।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-4242029880831153332009-06-17T02:43:14.727-07:002009-06-17T02:43:14.727-07:00लाजवाब रचना है...बेमिसाल....एक एक शब्द गहरी चोट कर...लाजवाब रचना है...बेमिसाल....एक एक शब्द गहरी चोट करता है आज के मौजूदा हालात पर...इस रचना की जितनी तारीफ की जाये कम है...शुक्रिया आपका इसे पढ़वाने के लिए....<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-79188773998292206892009-06-17T01:49:44.772-07:002009-06-17T01:49:44.772-07:00आशीशजी मुझे लगता है अब तक ब्लोग पर पधी सब कविताओं ...आशीशजी मुझे लगता है अब तक ब्लोग पर पधी सब कविताओं मे से उमदा रचना हैऐसे पढ्वाने के लिये बहित बहित धन्य्वाद्निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.com