tag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post1415872475570865486..comments2023-10-17T01:05:42.304-07:00Comments on बतकही: कोई बोली ना रह जाए 'अनबोली'आशीष कुमार 'अंशु'http://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-21037196312027048522010-03-31T03:11:51.786-07:002010-03-31T03:11:51.786-07:00मेरे लिए एकदम नई जानकारी देने वाला दमदार लेख। भाषा...मेरे लिए एकदम नई जानकारी देने वाला दमदार लेख। भाषाओं और बोलियों को बचाए जाने के प्रति जो भी लोग कार्यरत हैं उनके प्रति मेरा नमन। आपको जानकारी देने हेतु धन्यवाद।<br />टिप्पणी में अविनाशजी की टिप्पणी अनुकरणीय है। भाषाएँ और बोलियाँ संरक्षण चाहती हैं--अंधानुकरण अथवा घृणा नहीं।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-58550742115016215352010-03-31T02:52:56.521-07:002010-03-31T02:52:56.521-07:00@ पंकज झा
हमें यह कामना करनी चाहिए
कि हिन्दी खूब ...@ पंकज झा<br />हमें यह कामना करनी चाहिए<br />कि हिन्दी खूब विकसित हो<br />परन्तु कोई भाषा समाप्त हो जाए<br />यह हमें नहीं चाहना चाहिए<br />जैसे गौरेया समाप्त हो रही हैं<br />तो उसका कुअसर मानवजीवन पर भी पड़ रहा है<br />इसी प्रकार अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा के जाने के असर से<br />हिन्दी या अन्य भाषाओं को भी नुकसान तो होगा ही<br />इससे आप यह न समझें कि<br />मैं अंग्रेजी का हिमायती हूं<br />या हिन्दी की कम हिमायत कर रहा हूं<br />पर जो असलियत है <br />उससे आंखें नहीं मूंद रहा हूं। <br /><br />अंशु के द्वारा साझा की गई जानकारी के लिए उनका आभारी हूं।अविनाश वाचस्पतिhttps://www.blogger.com/profile/05081322291051590431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-36987353338707883892010-03-31T02:03:49.399-07:002010-03-31T02:03:49.399-07:00काश कभी अंग्रेज़ी भाषा "बों" जैसे समाप्त ...काश कभी अंग्रेज़ी भाषा "बों" जैसे समाप्त हो जाती....! "बों" तो निश्चित रूप से जिंदगी के लिए जद्दोजहद करते रहने वाली कौम की भाषा थी..उसको तो ज़रूर रहना चाहिए था ...हाँ अगर अंग्रेज़ी के लुप्त हो जाने का सौभाग्य कभी मानवता को मिला तो ज़रूर कुछ रक्त रंजित चीज़ों से समाज को आज़ाद महसूस करेगा....!पंकज झा.noreply@blogger.com