tag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post4655496458146986422..comments2023-10-17T01:05:42.304-07:00Comments on बतकही: मीडिया स्कैन : भावी पत्रकारों का अखबारआशीष कुमार 'अंशु'http://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-42658181804151988432008-05-07T22:05:00.000-07:002008-05-07T22:05:00.000-07:00किसी विषय में बिना देखे भाले राय कायम करने वाले जन...किसी विषय में बिना देखे भाले राय कायम करने वाले जनाब आपके लिय क्या कहा जाय्.<BR/><BR/>यदि आप दिल्ली में हैं तो मिल सकते हैं, यदि आप दिल्ली के बाहर हैं तो हम आपसे मिलने की कोशिश करेंगे. <BR/><BR/>आप चाहे तो बात कर सकते हैं - 09891323387 (संपादक), <BR/>09868573612, 09310621099<BR/> (कला संपादक)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-74935117997146910762008-05-07T10:55:00.000-07:002008-05-07T10:55:00.000-07:00और हाँ, मैं पत्रकार नहीं हूँ, न बनने का विचार है. ...और हाँ, मैं पत्रकार नहीं हूँ, न बनने का विचार है. तो मेरी खिचड़ी भाषा को बारह-तेरह सालों की खिचड़ी की खुराक का नतीजा ही समझो. क्या ये 'अच्छी पत्रकारिता' करने वाले छात्र समाचारों के स्तर के साथ उसकी भाषा को भी वापस लायेंगे? देखते हैं एक ब्रेक के बाद .........................ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-33015908831344100522008-05-07T10:47:00.000-07:002008-05-07T10:47:00.000-07:00वैसे तो अंगुली नहीं कर रहा था, पर आपको लगता है तो ...वैसे तो अंगुली नहीं कर रहा था, पर आपको लगता है तो कर ही रहा होऊंगा. वैसे जब मीडिया में करियर बनाना है तो हर सही या ग़लत बात पर गहरे से विचार करने की आदत डालो, क्योंकि यह गंभीर पत्रकारिता का पहला नियम है (ग़लत बात यानि अंगुली भी कभी कभी काफी कुछ सिखाती है). गंभीर पत्रकारिता की भाषा भी गंभीर होनी चाहिए नहीं तो कोई भी आपकी बात गंभीरता से नहीं लेगा. और यह पत्रिका तो आधी हिन्दी आधी इंग्लिश होगी या खिचड़ी होगी. अब खिचड़ी से 'टाइम' 'न्यूज़वीक' या 'इकोनोमिस्ट' के जैसा प्रभाव और स्तर तो पैदा नहीं कर सकते न. <BR/>जैसे की,<BR/> 'इंडिया के यंगस्टरस को करप्शन के इल इफेक्ट्स के बारे में अवेअर करने के लिए सिविल ग्रुप्स एक सीरियस नेशन वाइड केम्पैन की प्रिपरेशन कर रहे हैं.'ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-84820810522422149972008-05-05T06:50:00.000-07:002008-05-05T06:50:00.000-07:00"जुबान नरम, तासीर गरम"यह हिन्दी हो यह भी जरूरी नही..."जुबान नरम, तासीर गरम"<BR/><BR/>यह हिन्दी हो यह भी जरूरी नहीं, <BR/><BR/>जनाब लेकिन आप उंगली करने वाले समाज का एक हिस्सा हैं, यह तय हैAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-80682681406121039602008-05-05T05:29:00.000-07:002008-05-05T05:29:00.000-07:00"जुबान नरम, तासीर गरम"यह टैगलाइन किसी इंग्लिश पत्र..."जुबान नरम, तासीर गरम"<BR/>यह टैगलाइन किसी इंग्लिश पत्रिका की तो होगी नहींAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-28007245517384994712008-05-05T05:13:00.000-07:002008-05-05T05:13:00.000-07:00हिन्दी पत्रकारिता का स्तर सुधारेंगे, यह बात तो रवि...हिन्दी पत्रकारिता का स्तर सुधारेंगे, <BR/><BR/>यह बात तो रवि ने लिखी भी नहीं, आपने कहां पढ लिया?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5826908165840830090.post-52308373966414729032008-05-05T04:59:00.000-07:002008-05-05T04:59:00.000-07:00हिन्दी पत्रकारिता का स्तर सुधारेंगे, और अपने प्रक...हिन्दी पत्रकारिता का स्तर सुधारेंगे, और अपने प्रकाशन का नाम इंग्लिश में रखा है! जो एक अच्छा सा हिन्दी नाम भी न खोज पाए उनसे इतने बड़े दावे सुनना मजाक लगता है. इन्होने अपने सी.वी. जोरदार बनने के लिए अखबार निकला है, और बड़े-बड़े दावे करना तो मार्केटिंग फंडा है ही.Anonymousnoreply@blogger.com