शनिवार, 16 जून 2007

बतकही - जैसा मीडिया स्कैन में छपा

प्रिय मित्रों,
इन चार पृष्ठों को क्या नाम दिया जाय, यह एक प्रश्न हो सकता है? समाचार पत्र या विचार पत्र। लेकिन इसका स्वरूप क्या होगा और इस पत्र में हम क्या प्रकाशित करने वाले हैं; इसको लेकर मन मे रत्ती भर भी संदेह नहीं है।
मुझे याद है कि आज से करीब तीन साल पहले खालसा सांध्य कालेज (जो अब गुरू नानक देव प्रातः कालेज मे तब्दील हो चुका है) में जब इन चार पृष्ठों के लिय चर्चा हुई थी, तो चर्चा में शामिल सभी साथियों के मन में तरह-तरह के सवाल थे। मसलन हम क्या प्रकाशित करेगे; इसके लिय धन की व्यवस्था कहाँ से होगी? लिखने वाले कौन से लोग होंगे; हम कीन विषयों को अपने चार पृष्ठों का मुख्य विषय बनायेंगे; क्या हम लंबे समय तक उनके प्रति इमानदार रह पाएंगे? और सबसे बड़ा सवाल यह था कि इस बात कि क्या जमानत है कि ये चार पृष्ठ भी अपने जैसी ही शक्लो सूरत वाली अन्य चार पृष्ठों कि तरह अपने चौथे-पांचवें अंक के साथ दम नहीं तोड़ देगा। एक और बात जो वहाँ उठी थी वह यह कि हमारा चार पेज अन्य चार पृष्ठों वाले चार पृष्ठ से कैसे अलग होगा? यह बेहद आम सवाल है, जो हर चार पृष्ठीय पत्रकारिता के साथ सर उठाता ही है। खैर आज तीन साल बाद इन तमाम सवालों को सुलझाते हुय यह चार पृष्ठ आप तक पहुचाने कि हिम्मत कर रहे हैं।
इन चार पृष्ठों का उद्देश्य न तो लाभ है ना ही लोभ। कहते हैं दुःख बांटने से आधा हो जाता है और सुख बांटने से दोगुना। मीडिया स्कैन मंच है खुद को बांटने का। लेकिन यह बांटने कि प्रक्रिया सरल नही है, जब तक आप खुद को बांचना नही सीखते, तब तक बाँट भी नहीं पाएंगे।
ये चार पृष्ठ आपके हात में हैं। अब इसका भविष्य और नसीब आप ही लिखेगे। इसे पढने के बाद यह- चार पृष्ठ क्या हैं और क्यों हैं- जैसे सवालों का जवाब आपको मिल जाता है तो इसे हम सभी मित्र मीडिया स्कैन कि सफलता मानेंगे।

भवदीय
आशीष कुमार "अंशु"
०९८६८४१९४५३
मीडिया स्कैन कि प्रति के लिय आप हमे लिख सकते हैं, फ़ोन कर सकते हैं।

1 टिप्पणी:

संजीव कुमार सिन्‍हा ने कहा…

आशीष से मीडिया स्कैन की प्रति मिली थी। आद्योपांत पढा। वाकई, नवांकुरों का यह प्रयास सराहनीय है। अधिकांश साथियों को मैं जानता हूं। सभी धुन के पक्के हैं। बाजारवादी मीडिया का नतीजा हम सब भुगत रहे हैं। देश को वैकल्पिक मीडिया की सख्त आवश्यकता है। हालांकि यह मुश्किल दिख रहा है। फिर भी उम्मीद तो की ही जा सकती है। चार पेज की निरंतरता बनी रहे, यही शुभकामना प्रेषित करता हूं।

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम