मंगलवार, 25 मार्च 2008

कालाहांडी और विदर्भ के रास्ते पर बुंदेलखंड

बदहाली, सुखा और भुखमरी के हाथों जब बुंदेलखंड के सात जिले झांसी, जालौन ललितपुर , बांदा, महोबा, हमीरपुर, और चित्रकूट का नसीब लिखा जा रहा हो, ऐसे में इन जिलों में पटरियों पर लगाने वाले खोमचे और रेहडियो के साथ-साथ जिला अधिक्षको के आदेश से लगाया गया यह संदेश 'बेकार' बैठना मना है आपको सोचने पर विवश कर सकता है कि इस प्रदेश का बेरोजगार किसान-मजदूर क्या करे ? यहाँ काम तलाश रहे हाथों को काम नहीं है और सरकारी फरमान है कि खाली बैठ नहीं सकते। अब यह मजबूर किसान मजदूर जाय तों कहाँ जायें। करे तों क्या करें? जिसने बेकार बैठने पर प्रतिबन्ध लगाया है वही कोई रास्ता सुझाय?

1 टिप्पणी:

Arun Arora ने कहा…

आप सम्झे नही उनका मतलब है खाली मत बैठे ईट उठाये और सिर मे मारे सरकारी अधिकारियो के..:)

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम