राम का नाम सत्य है, इस बात पर किसे आपत्ति हो सकती है। मुझे तो कम से कम नहीं है। वैसे भी भारत में यदि रहना है तो जय श्री राम कहना होगा, जैसे नारे भी मैंने सुने हैं या किताबों में पढ़ा है। ठीक-ठीक बता नहीं सकता।
लेकिन यह शब्द है बड़े काम का यह तो मानना होगा। यदि राम ना होते तो क्या एन डी ऐ की सरकार कभी बन पाती। अटल जी कभी प्रधान मंत्री बन पाते। आडवानी किसके नाम पर रथयात्रा करते? सबसे कमाल की बात यह कि यदि राम ना होते तो आज़ादी के बाद से इस देश पर राज कराने वाली एक के बाद एक सरकार किसके भरोसे चलती।
राम की सच्चाई पर भारतीय जनमानस का भरोसा कितना मजबूत है इस बात का पता शोध के जरिय ही लग सकता है। क्योंकि राम की सच्चाई पर विश्वास कराने वाले हमारे समाज को राम की सच्चाई की याद सिर्फ़ उस वक़्त आती है जब किसी कि मौत होती है।
बुधवार, 2 अप्रैल 2008
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