गुरुवार, 29 मई 2008

सूखे सर होंगे तर


आदमी के माथे की गाद हट जाए तो तालाब की गाद साफ होते देर नहीं लगती। बुन्देलखण्ड में जगह-जगह तालाबों के पुनर्जीवन का अभियान जोर पकड़ रहा है।
माथे की गाद हटी तो तालाब चमककर आंचल पसारे पानी धारण करने के लिए फिर से तैयार हो रहे हैं. महोबा का चरखारी तालाबों के आंचल में सिमटा कस्बा है. लेकिन समय बीता तो तालाब के आंचल मटमैले हो गये. इसकी कीमत चरखारी को भी चुकानी पड़ी. लेकिन अब चरखारी के आस-पास के मलखान सागर, जयसागर रपट तलैया, गोलाघाट तालाब, सुरम्य कोठी तालाब, रतन सागर, टोला ताल, देहुलिया तालाब, मंडना और गुमान बिहारी जैसे तालाब चमककर निखरने लगे हैं. चरखारी में तालाबों की सफाई का यह काम समाज अपने से कर रहा है क्योंकि सूखे की मार सरकार पर नहीं समाज पर है. बात फैली तो संचित सहयोग की भावना हिलोरे मारकर जागृत हो गयी. आसपास के लोगों ने सुना कि तालाब की गाद साफ हो रही है तो जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा और झांसी के लोग भी यहां श्रमदान करने आये.

पानी का पुनरोत्थान हो सकता है? शायद व्याकरण के लिहाज से यह थोड़ा अटपटा लगे लेकिन बुन्देलखण्ड में आज का व्यावहारिक व्याकरण यही है. पानी को बाजार से मुक्त कराने और समाज को पानी का हक दिलाने के लिए पुष्पेन्द्र भाई ने पानी पुनरोत्थान पहल की शुरूआत की है. वे बताते हैं-"हां यह पानी का पुनरोत्थान ही है. बाजार पानी छीनना चाहता है. उस पर अपना कब्जा जमाना चाहता है. इसे रोकने के लिए हमने नवयुवकों की एक टोली बनाई है. ये बुन्देली जल प्रहरी पानी बचाएंगे. उसका पुनरोत्थान करेंगे." अरविन्द सिंह चरखारी नगरपालिका से जुड़े हैं. इस तालाब सफाई अभियान को चलाये रखने में उनका बड़ा योगदान है. वे बताते हैं-"तालाब तो हमेशा से साझी धरोहर रही हैं. यह तो समय और सरकार ने तालाबों को निजी संपत्ति में बदल दिया. यह पुनः समाज के हाथ में वापस जाए इसके लिए समाज को जागरूक करने की जरूरत है."
पुष्पेन्द्र भाई केवल चरखारी तक ही अपना अभियान नहीं रखना चाहते. वे पूरे बुन्देलखण्ड के तालाबों का पुनरूत्थान करना चाहते हैं. इस काम में समाज जुटे और इसे अपना काम समझकर इसमें शामिल हो जाए इसके लिए उनके जैसे लोग कई स्तरों पर कोशिश कर रहे हैं.इनमें सर्वोदय सेवा आश्रम के अभिमन्यु सिंह, राजस्थान लोक सेवा आयोग की नौकरी छोड़कर आये प्रेम सिंह, लोकन्द्र भाई, डॉ भारतेन्दु प्रकाश और सरकारी नुमांईदे सरदार प्यारा सिंह जैसे लोग भी हैं जो बुन्देलखण्ड को उसका गौरव पानी उसे वापिस दिलाना चाहते हैं.
छतरपुर (मध्य प्रदेश) जिले में तालाबों की सफाई का अभियान जोरों पर है. छतरपुर नगरपालिका के अध्यक्ष सरदार प्यारा सिंह ने तालाबों की सफाई का जिम्मा अपने हिस्से ले लिया है. वे बताते हैं "छतरपुर में ग्वाल मगरा, प्रताप सागर, रानी तलैया, किशोर सागर जैसे कई तालाब हैं. मैंने संकल्प लिया है कि अपना कार्यकाल खत्म होने के पहले इन सारे तालाबों की सफाई पूरी कराऊंगा." कुछ इसी तरह का संकल्प लोकेन्द्र भाई का भी है. वे झांसी से हैं और बिनोबा भावे के सर्वोदय सत्याग्रह से जुड़े रहे हैं. उन्होंने अपने घर बिजना को केन्द्र बनाकर 25 किलोमीटर के दायरे में जो कुएं और तालाब बनवाएं हैं वे इस भयंकर सूखे के दौर में भी लोगों को तर कर रहे हैं. लोकेन्द्र भाई पानी तलाशने की उस परंपरागत तकनीकि के बारे में भी बताते हैं जिसके सहारे यह समाज हमेशा पानीदार बना रहा है. वे कहते हैं कि मेंहन्दी की लकड़ी, अरहड़ की झाड़ या बेंत के माध्यम से पानी तलाशना सरल है. बस आपको थोड़ी तपस्या करनी होगी कि इन प्राकृतिक औजारों के भरोसे आप पानी तक कैसे पहुंच सकते हैं. जिन्हें यह पता है वे जानते हैं कि धरती मां के गर्भ में कहां पानी है और कितने गहरे पर है।
सर्वोदय सेवा आश्रम के अभिमन्यु सिंह ने तो पाठा के बड़गड़ क्षेत्र को गोद ही ले लिया है. वे और उनके कार्यकर्ता घूम-घूम कर पानी को बचाने की कोशिशों में लगे रहते हैं. उन्होंने जगह किचेन गार्डेन को भी बढ़ावा दिया है. जिसके पौधों की सिंचाई उस पानी से होती है जो बेकार समझकर बहा दिया जाता है. प्रेम सिंह तो सरकारी नौकरी छोड़कर आये हैं. अब रूखे-सूखे बुन्देलखण्ड में वे पानी और खेती दोनों को नयी ताकत देने की कोशिश कर रहे हैं. देर से ही सही बुन्देलखण्ड अपने हिस्से का पानी संजोने में जुट गया है. हो सकता है जल्द ही उसे इसका प्रसाद भी मिलने लगे.
(http://visfot.com/index.php?news=185) विस्फोट से साभार

1 टिप्पणी:

PRAVIN ने कहा…

yah prayas atyant saraahniy hai.bundelkhand ho chaahe karnaatak desh kaa koi bhi sthan aisa paani se labalab nahi hai.jab tab iske liye ham ek doosre ko aankhe bhi tarerte rahe hai.kahi naa kahi is samasyaa ke jimmedaar ham rahe hain.....
ham agr chete nahi to yah gaad jo abhi taalaab se alg hone kaa ahsaas kara rahi hai...talab ka hissa hi ho jaayegi.tab yah itna kathor roop dharan kar legi ki iske bina talab ka astitv nahi samajh men aaye ga jiska parinaam hami bhoogtenge....
samasya ko samay rahte pahchaanna buddhimaani hai.aur is dishaa men yah andolan hame ek rah dikha rahaa hai....
taaki bachaa rahe jeevan....

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम