पिछले २ सप्ताह में मेरे ८ दोस्त इस गीता सार को मुझे मेल कर चुके हैं। फ़िर मुझे लगा इसमें कुछ ख़ास जरूर है। या फ़िर इस गीता सार में कई लोगों के परेशानियों का हल है। बात जो भी हो गीता सार पसंद आई, आपके किसी दोस्त ने यदि इसे अब तक आपको मेल नहीं किया तो यहाँ आकर इसे पढ़ें।
शुक्रवार, 11 जुलाई 2008
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4 टिप्पणियां:
भाई धन्यवाद इस अग्याणी की आखंए खुल गई, आप के इस ग्याण से,अब कोई चिन्ता नही. धन्यवाद
आप ने शिवराम के बहुचर्चित नाटक "जनता पागल हो गई है" का स्मरण करवा दिया। इस नाटक में मैं पूँजीपति का अभिनय करता था और अपनी बेहाल जिन्दगी से दुखी और विद्रोह पर उतारू जनता को गीता का श्लोक सुनाते हुए कर्म (काम) करने का उपदेश देता था कि काम करो फल की चिन्ता मत करो।
bahut achche.....
भाई धन्यवाद
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