![](http://2.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SLOU16RV2_I/AAAAAAAAAqc/fF7fcjtfrHQ/s320/SILIGUDI%2BCHAIBASA+401.jpg)
मेरे दोस्तों की शिकायत है मुझसे कि मैं अपने ब्लॉग में इस तरह की तस्वीरें क्यों लगाता हूँ, मेरा मानना है, जब तक हमारे देश में एक भी व्यक्ति की हालत कुछ ऐसी है जिसे देखने भर से भी बहूत सारे लोगों को 'शर्म' (वैसे यह युग बेशर्मी का है) आए- तो समझिए हमारे देश की तरक्की के सारे दावे खोखले हैं. टाटा-बिरला-अम्बानी- प्रेम जी-मूर्ति- सब फरेब हैं. इस देश की आधी से अधिक आबादी एक वक़्त और दो वक़्त के खाने पर जीने को मजबूर है. उन्हें पता भी नहीं- यह ब्रेक फास्ट किस चिडिया का नाम है? बहूत सारे लोगों के लिए एक वक़्त का खाना मिलना भी मुसीबत है. (इस बच्चे की तस्वीर जमशेदपुर (टाटानगर) रेलवे स्टेशन से ली गई है)
![](http://4.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SLOUbGPWmYI/AAAAAAAAAqU/urZQXoSAG-8/s320/SILIGUDI%2BCHAIBASA+400.jpg)
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![](http://3.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SLOTmE1xPHI/AAAAAAAAAqE/3Ak33bS8PEc/s320/SILIGUDI%2BCHAIBASA+398.jpg)
![](http://2.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SLOTGIzY4zI/AAAAAAAAAp8/pIzIJxPbv28/s320/SILIGUDI%2BCHAIBASA+396.jpg)
![](http://2.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SLOSZoKatmI/AAAAAAAAAp0/_1PizBnSs_4/s320/SILIGUDI%2BCHAIBASA+395.jpg)
![](http://2.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SLORInYOGoI/AAAAAAAAAps/AyemakfQ8Hg/s320/SILIGUDI%2BCHAIBASA+394.jpg)
3 टिप्पणियां:
दुखद....
जनाब, आपके जज्बे को सलाम करता हूँ. आपने भारत की वो तस्वीर पेश की है जिसे कोई जानना, समझना या देखना नहीं चाहता है. मैं आपकी बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ. वैसे इस तरह के लेखकों को आज के बुद्धिजीवी इमोशनल फूल का सेहरा पहना देते हैं. लेकिन मैं भी आपके इसी वर्ग से ताल्लुक रखता हूँ. आपकी लेखनी को देख कर ऐसा लगा कि मैं अकेला व्यक्ति नहीं हूँ जिसकी सोच ऐसी है. आपसे निवेदन है कि आप अपने लेखनी से समाज को उसका असली चेहरा दिखाते रहने की कोशिश करते रहें.
जनाब, आपके जज्बे को सलाम करता हूँ. आपने भारत की वो तस्वीर पेश की है जिसे कोई जानना, समझना या देखना नहीं चाहता है. मैं आपकी बात से पूर्ण रूप से सहमत हूँ. वैसे इस तरह के लेखकों को आज के बुद्धिजीवी इमोशनल फूल का सेहरा पहना देते हैं. लेकिन मैं भी आपके इसी वर्ग से ताल्लुक रखता हूँ. आपकी लेखनी को देख कर ऐसा लगा कि मैं अकेला व्यक्ति नहीं हूँ जिसकी सोच ऐसी है. आपसे निवेदन है कि आप अपने लेखनी से समाज को उसका असली चेहरा दिखाते रहने की कोशिश करते रहें.
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