बुधवार, 11 मार्च 2009
गाँधी, किंगफिशर और माल्या
अंततः किंग फिशर वाले भाई साहब विजय जी माल्या गांधी जी के चश्मे को 'फिरंगियों' के हाथों से बचा लाए. चीयर्स...सोचा था इसकी वापसी की खुशी में भारत में जश्न होगा. शेम्पेन की एक-आध बोतलें खुलेंगी. और चीयर लीडर्स टी वी स्क्रीन पर 'दे दी हमें आज़ादी बिना खडग, बिना ढाल'... के बोल पर थिरकेंगी. और इनका नेतृत्व कर रही राखी सावंत 'आज के समय में गांधी कितने प्रासंगिक' विषय पर तमाम खबरिया चैनलों पर बौधिक झाड़ रही होंगी. सो सेड -वेरी बैड. ऐसा नहीं हुआ.
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5 टिप्पणियां:
'दे दी हमें आज़ादी बिना खडग, बिना ढाल'... बंधु कौन-सी और कैसी आजादी?
आज पहली बार ऐसा लगा की शराब इतनी भी बड़ी बुरी चीज़ नहीं ......विजय माल्या को हमारा सलाम....उनके इस नेक कार्य के लिए.....!!
विजय माल्या जी ने बेशक यह कार्य बेहद नेक किया है...!!
अभी तो ताज़ा ताज़ा वरुण गांधी ने गांधी जी को गाली दी है........
आज के नेता वाकई उन्हें अप्रासंगिक मान चुके हैं
मुझे इस बात पर कोई ऎतराज़ नहीं कि विजय माल्या ने उन चीज़ों को खरीद कर भारत को सौंप दिया, जिन्हें नीलाम होने से बचाने की सारी कोशिशें नाकाम हो चुकी थीं। कोई न कोई उसे खरीद कर अपने ड्राइंग रूम की शोभा बढ़ाता ही, तो विजय माल्या ने खरीद ही लिया, भले ही उनका मकसद कुछ भी हो, इसमें क्या बुराई है।
रांचीहल्ला
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