शुक्रवार, 10 जुलाई 2009

कृपया कमजोर दिल वाले इन तस्वीरों को ना देखें






यह राजस्थान के एक हड्डी फैक्टरी की तस्वीरें हैं. इन हड्डियों से जैविक खाद से लेकर बौडी सप्लीमेंट तक बनाई जाती है. जिलेटीन इन्हीं हड्डियों से बनता है. ज़रा सोचिए यदि इन हड्डियों के निपटान के लिए हड्डी फैक्टरी ना होती तो उन गाँवों और शहरी स्थानों का क्या होता, जहां जानवर मरते, हमारे लिए जानवरों के मृत शरीर को निपटाना एक बड़ी समस्या नहीं बन जाती.

10 टिप्‍पणियां:

रंजना ने कहा…

Sach kaha.....

निर्मला कपिला ने कहा…

ab to maan gaye naa ki ham kamzor dil nahi hain sahee kahaa lekin in haddiyon ko kahate hain milaavat ke liye istemaal kiyaa jaataa hai

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने कहा…

ye bhi is SAMAAJ ka ek hissa hai.

मुनीश ( munish ) ने कहा…

These bones are used to clean the SUHGAR u and me take everyday .

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

मुनीश भाई,
अब भारत में हड्डी का प्रयोग चीनी की सफाई में नहीं किया जाता, इस लिए अब हमारी चीनी दूसरे देशों के मुकाबले कम सफ़ेद होती है. चाहें तो आप खुद देख सकते हैं.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

जब ये फैक्टरीयाँ नहीं लगी थी,उससे पहले क्या हड्डियों का निपटान नहीं होता था!!

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

भाई साहब,
उन दिनों इसकी वजह से काफी परेशानी का सामना गाँव वालों को करना पड़ता था. गांधी जी भी इन हड्डियों की मदद से तैयार होने वाले जैविक खाद के समर्थक रहे हैं.

Ritesh Jha ने कहा…

Ashish bhai really u hv given a great information to us.......thanks a lot man

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

मिलावट के लिए शुद्ध हड्डियां
चलिए कहीं तो शुद्धता बची है
नहीं तो पता चलता हमें कि
हड्डियां भी नकली मिलाई जाती हैं

Ankur ने कहा…

D K Sharma Ji पहले मारे हुए जानवर अपनी आप मैं ही बड़ी समस्या थे इनका चमडा उतार कर इने शहर के बार गाड या फेक दिया जाता था. अब दुनिया बहुत छोटी हो गयी हैं इतनी जगह ही नहीं हैं .. इसलिए इनका हड्डी फैक्ट्री में निपटान बहुत जरुरी हैं. सोचिया आपके घर के पास जानवर मर जाये और कोई उसको उठा कर ठिकाने लगाने वाला ना हो तो क्या होगा.. और इन हड्डियों का सदुपयोग होता हैं. यह जो फोटोग्राफ के नेगेटिव होते हैं उनमे मुख्या रूप से ये हड्डियों का चुरा ही होता हैं |

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम