शनिवार, 27 मार्च 2010

भाषा के सवाल पर झारखण्ड में जुटान


अभी-अभी एक भारतीय भाषा विलुप्त हो गई है!
और दुनिया की 7000 भाषाओं में से
एक भाषा अभी-अभी ही कहीं मरने वाली है!!
भाषाओं को विलुप्त होने से बचाइए
16-17 अप्रैल 2010 को रांची में आयोजित
झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा
के द्वितीय महासम्मेलन में शामिल हों
महासम्मेलन में शामिल होने की सूचना
और अपना न्यूनतम आर्थिक सहयोग रु. 100/-
इस पते पर अविलंब भेजें:
झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा
द्वारा जोहार सहिया, 203, एमजी टॉवर,
23, पूर्वी जेल रोड, राँची (झारखण्ड) 834001
फोन: 9234678580, 9234301671, 9431109429
टेलीफैक्स: 0651-2562565 वेब पताः www.akhra.co.in
ई-मेल: pkfranchi@gmail.com
एकाउंट नं.: 106010100016861
एकाउंट नाम: Pyara Kerketta Foundation
बैंक: AXIS BANK LTD., Main Road, Ranchi Branch

महासम्मेलन की विस्तृत जानकारी और रजिस्ट्रेशन फार्म के लिए यहां जाएं:
www.akhra.co.in/Akhrasammelan2010.html
हासा (माटी) और भासा के आंदोलन में आपके सक्रिय रचनात्मक समर्थन और सहयोग की अपेक्षाओं के साथ।
वंदना टेटे
महासचिव, झारखण्डी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा
संपर्क: 9234678580

1 टिप्पणी:

Badal chandra mahato ने कहा…

हिंदी झारखण्ड की राजकीय भासा है जो की गैर झारखंडी दिकु भाषा है .हिंदी को उत्तर प्रदेश से आयातित किया गया है . झारखंडी भासये राजकाज के उपयुक्त नहीं होने के कारन एक गैर झारखंडी भाषा हिंदी को झारखंडी की राजभाषा बनाया गया .हिंदी का झारखण्ड में केवल १०० बरस पुराना इतिहास है .
झारखण्ड की द्वितीय राजभासा -
झारखण्ड की द्वितीय राजभाषा निश्चित रूप से बंगला को बनाया जाना चाहिए नाकि उर्दू को . क्योकि बंगला भाषा का झारखण्ड में १०००-१२०० बरस पुराना इतिहास रहा है .ओडिया भी सराइकेला खरसावाँ सिंघ्भुम की प्राचीन भाषा रही है .
बंगला और ओडिया को निश्चित रूप से झारखण्ड की द्वितीय राजभाषा बनाना चाहिए परन्तु दुर्भाग्य की बात है की सन २००७ में मधु कोड़ा सरकार ने बंगला को छोड़कर उर्दू को द्वितीय राजभाषा बना दिया गया .
झारखण्ड में द्वितीय भाषा के रूप में बंगला का ओडिया का विरोध -
झारखण्ड में कुछ संगठन बंगला और ओडिया जो द्वितीय राजभाषा का दर्जा देने का विरोध कर रहे है . उनका तर्क है की ये गैर झारखंडी भाषा है . क्या बंगला और ओडिया का विरोध करने वाले झारखंडी संगठन मुझे ये बताने का कष्ट करंगे की क्या उर्दू और हिंदी क्या झारखंडी भाषा है ? अगर नहीं तो फिर आप लोग उसका बिरोध क्यों नहीं करते है ?
बंगला और ओडिया का विरोध करने वाले ये नेता किस मुह से विधानसभा में उर्दू शिक्षक और मदरसा शिक्षको बहाली और मदरसा अनुदान की बात करते है ?कई झारखंडी नेता जो हिंदी (दिकु भाषा ) के लिखे पोस्टर बैनर द्वारा बंगला ओडिया का विरोध कर रहे है वो विधानसभा में उर्दू मीडियम स्कूल खोलने उर्दू शिक्षको की बहाली और मदरसा अनुदान के लिए हंगामा करते है . ऐसे दोगले चरित्र के लोगो को पहचाने की जरुरत है .अपने को झारखंडी भाषा संस्कृति का हितेषी और ठेकेदार बताने वाले लोग पहले उर्दू का विरोध कर के दिखाए .
उर्दू के विषय पर सभी झारखंडी भाषा अखडा और संगठनो ने चुप्पी क्यों साध ली है क्या उर्दू झारखंडी भाषा है ?

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम