शुक्रवार, 7 मई 2010

सबसे खतरनाक होता है: मुर्दा शांति से भर जाना



सबसे खतरनाक होता है
मुर्दा शांति से भर जाना
न होना तड़प का सब सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
काम से लौटकर घर आना
सबसे खतरनाक होता है
सपनों का मर जाना
सबसे खतरनाक वह घडी होती है
आपकी कलाई पर चलती हुई भी जो
आपकी निगाह में रुकी होती है
सबसे खतनाक वह चाँद होता है
जो हर हत्याकांड के बाद
वीरान हुए आंगनों में चढ़ता है
पर आपकी आँखों को मिर्ची की तरह नहीं गड़ता है
सबसे खतनाक वह गीत होता है
आपके कानों तक पहूँचने के लिए
जो मरसिए पढ़ता है
आतंकित लोगों के दरवाजों पर
जो गुंडे की तरह अकड़ता है
सबसे खतरनाक वह दिन होती है
जिसमे आत्मा का सूरज डूब जाए
और उसकी मुर्दा धुप का टुकड़ा
आपके जिस्म के पूरब में चुभ जाए
-अवतार सिंह पाश






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आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम