सोमवार, 10 जनवरी 2011

बिग बॉस का मुकाबला कहीं फिक्स तो नहीं था

श्वेता तिवारी के बिग बॉस सीजन चार जीतने के बाद एडमॉल के बिग बॉस - बिगर तमाशा का अंत हुआ। श्वेता के हिस्से एक करोड़ रुपए आए और बाकि बचे लोग जो बिग बॉस के घर का हिस्सा बने थे, उन्हें भी पहचान और पैसा मिला। एक प्रतिभागी ने कैमरे के सामने स्वीकार किया। पहले जो लोग मिलने को भी तैयार नहीं थे, बिग बॉस में आने के बाद पहचानने लगे हैं। भाव देते हैं।


इस रियालिटी शो को देखने के दौरान इसकी रियालिटी पर हो सकता है कि कोई सवाल ना उठाए लेकिन शो में शामिल घर वालों को घर से अंदर बाहर करने में दर्शकों का रॉल कहीं नजर नहीं आया। बिग बॉस के घर से किसे निकालना है, इसका रिमोट दर्शकों के हाथ में नहीं बल्कि कार्यक्रम के प्रबंधकों के हाथ में था। वरना श्वेता तिवारी के नाम की घोषणा के साथ बिग बॉस को इस बात का भी ऐलान करना चाहिए कि यदि श्वेता द ग्रेट खली के मुकाबले विजयी हुईं हैं तो उसकी जीत के लिए तय पैमाने क्या थे? यदि उन्हें दर्शकों ने अपने वोट से जीताया है तो दर्शकों को यह जानने का पूरा हक है कि उनकी चहेती श्वेता तिवारी कितने मतों से विजयी हुए हैं। दूसरी तरफ खली द ग्रेट के प्रशंसकों को भी यह जानने का पूरा हक है कि यदि उनके प्रिय खली नहीं जीते तो इसके पिछे उनसे कहां चूक हुई? लेकिन बिग बॉस ने इसकी परवाह नहीं की।
बिग बॉस के पास तो इस सवाल का जवाब भी नहीं होगा कि जब घर के अंदर बाहर की खबर नहीं जा रही थी तो डॉली बिन्द्रा ने कैसे जाना कि बाहर सारा का तलाक हो चुका है?



चूंकि बिन्द्रा एक एपिसोड में यह कहती हुई मिली कि सारा तो दूसरी शादी की तैयारी कर रही है।
इस संदेह से इंकार नहीं किया जा सकता कि आने से पहले क्लोडिया, परवेश राणा, वगैरह वगैरह को पता हो कि उन्हें किन किन एपिसोड में बाहर होना है। डॉली बिन्द्रा जब कार्यक्रम से बाहर हो गईं उन्हें पता हो कि उन्हें फिर कार्यक्रम में वापस आना है।
बिग बॉस में डॉली बिन्द्रा की भूमिका को देखकर कोई भी समझ सकता है कि वह कार्यक्रम में एक तय एजेन्डे के साथ शामिल हुईं थीं। वह लगातार कार्यक्रम में अपने हंगामें का तड़काा लगा रही थी। कोई भी कह सकता था कि बिग बॉस की तरफ से उन्हें विश्वास पत्र मिला हुआ है कि अन्तिम चार तक कोई उनका बाल भी बांका नही ंकर सकता। और इस बात में भी शक की गुंजाइश कम ही थी कि बिग बॉस में वे टॉप फोर से आगे जाएंगी।



इस कार्यक्रम में द ग्रेट खली की जगह श्वेता तिवारी की जीत में सटोरियों की भूमिका का भी संदेंह होता है। कोई नहीं सोच सकता था कि इस मुकाबले में द ग्रेट खली की हार होगी। एक समाचार चैनल के अनुसार सट्टा बाजार में बड़ी रकम खली के नाम पर लग रही थी। ऐसे में करोड़ों रुपयों के खेल में श्वेता तिवारी के नाम एक करोड़ कर देना घाटे का सौदा तो नहीं लगता? इन्हीं बातों से संदेंह होता है कि श्वेता की जीत बिग बॉस फिक्सिंग का हिस्सा तो नहीं। बकौल श्वेता उसने भी नहीं सोचा था कि वह बिग बॉस सीजन चार में जीत हासिल करेगी। यदि श्वेता की जीत वाजीब थी तो बिग बॉस को श्वेता की जीत कैसे सुनिश्चित हुई, इस प्रक्रिया के खुलासे मंे पारदर्शिता बरतनी चाहिए।


टेलीविजन मनोरंजन का कारोबार करोड़ों का है, लेकिन जीन दर्शकों से यह बाजार बनता है, यूं लगता है मानों वे ही इस पूरे आयोजन में हासिए पर डाल दिए गए हैं।

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आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम