-01-
‘हम डरे हुए लोग
कभी नरक से डरे
कभी कयामत से डरे,
और उन्होंने डरा-डरा कर हमें
कभी अल्लाह बेचा,
कभी राम बेच दिया।’
---------------------------------------------
-02-
तुम मस्जिद बनाओ, हम मन्दिर बना लेते हैं,
तुम मुसलमानों को फंसाओ, हम हिन्दूओं को पटा लेते हैं।
रोटी नहीं, कपड़ा नहीं, शिक्षा नहीं, भूख के सवाल पर नहीं,
मजहब के नाम पर इनको फिर से लड़ा देते हैं।
कभी गधा, कभी उल्लू, और कभी बंदर,
हम लोकतंत्र के जादूगर ठहरे, जिसको जैसा चाहें बना देते हैं।
2014 मे मस्जिद नहीं मजलूमों को आवाज दे दो,
राम मन्दिर तुम रख लो, जनता को राम राज दे दो
‘हम डरे हुए लोग
कभी नरक से डरे
कभी कयामत से डरे,
और उन्होंने डरा-डरा कर हमें
कभी अल्लाह बेचा,
कभी राम बेच दिया।’
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-02-
तुम मस्जिद बनाओ, हम मन्दिर बना लेते हैं,
तुम मुसलमानों को फंसाओ, हम हिन्दूओं को पटा लेते हैं।
रोटी नहीं, कपड़ा नहीं, शिक्षा नहीं, भूख के सवाल पर नहीं,
मजहब के नाम पर इनको फिर से लड़ा देते हैं।
कभी गधा, कभी उल्लू, और कभी बंदर,
हम लोकतंत्र के जादूगर ठहरे, जिसको जैसा चाहें बना देते हैं।
2014 मे मस्जिद नहीं मजलूमों को आवाज दे दो,
राम मन्दिर तुम रख लो, जनता को राम राज दे दो
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