बुधवार, 2 जुलाई 2008

जीत कर भी हार गई मीनू

आज के दौर में जब हर तरफ़ इंडियन आयडल, लाफ्टर और अच्छे चेहरों की तलाश है। ऐसे में गरीब बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था 'चेतना' ने 'श्यामक डावर इन्स्टिट्यूट फार परफोर्मिंग आर्ट्स' के साथ मिलकर 'छूपे रुस्तम' नाम के कारनामे को अंजाम दिया। इन्होने छूपे रुस्तम कार्यक्रम के माध्यम से उन प्रतिभाशाली बच्चों को तलाशने का प्रयास किया जो झुग्गी बस्तियों में रहते हैं। गलियों में आवारागर्दी करते हैं। या फ़िर किसी मालिक की दूकान पर काम करते हैं। भीख मांगते हैं या मजदूरी करते हैं।
इस कार्यक्रम में २५ गैर सरकारी संस्थाओं के माध्यम से लगभग ४०० बच्चों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में लड़कियों के ग्रुप में 'सोशल एक्शन फॉर ट्रेनिंग' की तरफ़ से आई मीनू को प्रथम स्थान मिला। वह अली गाँव के पास गौतम पूरी की झुग्गियों में रहती है। दूसरे के घरों में चूल्हे चौका का काम करती है। वह बड़ी होकर एक डांसर बनाना चाहती है।
यह रिपोर्ट मैंने लगभग एक साल पहले मीनू के लिए लिखी थी। कल चेतना के संजय गुप्ता से बात हुई, तो मीनू का हाल पुछा उन्होंने बड़े बूझे हुए मन से कहा 'मीनू नहीं गई क्योंकि उसके परिवार वाले तैयार नहीं हुए। वह चाहते कि वह डांस में अपना कैरियर बनाए। '
'क्यों? इसमें बुराई क्या है? '
मैं समझ नहीं पाया इतना अच्छा अवसर कोई कैसे छोड़ सकता है।
संजय भाई का जवाब था,
'उन्होंने कहा लड़की है कहाँ जाएगी।'
आज के समय में भी इस तरह की घटनाएं दिल्ली जैसे शहरों में हो रही है, क्या आपको कुछ कहना है।

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

So that those who will accidentally visit your site will not waste there time with this stupid topics.

बेनामी ने कहा…

Whoever owns this blog, I would like to say that he has a great idea of choosing a topic.

बेनामी ने कहा…

Its ok if the appearance of your blog is not good. The important thing is the topic or the content of your blog.

बेनामी ने कहा…

Baw ah, kasagad sa imo maghimo blog. Nalingaw gd ko basa.

Shiv ने कहा…

लड़कियों को लेकर एक तरह की मानसिकता है. लेकिन इस तरह की मानसिकता के पीछे सारे कारण खोखले हैं, ऐसी बात नहीं. फिर भी कोशिश की जानी चाहिए माँ-बाप को समझाने की. आख़िर केवल इस तरह के विचार की वजह से प्रतिभा की मौत ठीक नहीं है.

Udan Tashtari ने कहा…

शिव भाई से सहमत हूँ.

seema gupta ने कहा…

" bhut dukhdayee hai"
Regards

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम