अभियान इसलिए, क्योंकि उत्तर-पूर्वी बिहार के पांच जिलों में आयी यह तबाही महज साधारण बाढ़ नहीं, बल्कि एक नदी के रास्ता बदल लेने की भीषण आपदा है। इस तबाही के कारण 24 लाख से अधिक लोग बेघर हो गये हैं। ऐसे में पूरे देश के हर जिले से जब तक राहत सामग्री न भेजी जाए विस्थपितों की इतनी बडी संख्या को राहत पहुंचाना मुमकिन नहीं। देश में इस आपदा को लेकर अब तक वैसे अभियान नहीं चलाये जा रहे जैसे पिछ्ली त्रासदियों के दौरान चलाये गये थे। संभवतः केंद्र की 1000 करोड़ रुपए की सहायता को पर्याप्त मान लिया गया है। जबकि केंद्र सरकार का यह पैकेज 24 लाख विस्थापितों के लिए ऊंट के मुंह में जीरा से भी कम है। क्योंकि इन्हीं पैसों से टूटे बांधों की मरम्मत और बचाव अभियान भी चलाये जाने हैं। ऐसे में इन विस्थापितों की राहत और पुनर्वास के लिए दो हजार रुपये प्रति व्यक्ति से भी कम बचता है, और इसलिए भी कि यह एक ऐसी जिम्मेदारी है जिससे मुंह मोड़ना कायरता से भी बुरी बात होगी।मदद करेंअगर आप इन विस्थापितों की मदद करना चाहते हैं तो अपने शहर और आसपास के इलाकों से राहत सामग्री हमें भेज सकते हैं या खुद आकर प्रभावित इलाकों में बांट सकते हैं। अगर आप खुद बांटना चाहेंगे तो हम आपको स्थानीय स्तर पर मदद कर सकते हैं।आवश्यक राहत सामग्री
टेंट, कपड़ा - पहनने-ओढ़ने और बिछाने के लिए, दवाइयां, क्लोरीन की गोलियां, भोजन सामग्री, अनाज, नमक, स्टोव, टार्च व बैटरी, प्लस्टिक शीट, लालटेन, मोमबत्ती व माचिसहमारा सम्पर्क : विनय तरुण 092347702353, पुष्यमित्र 09430862739 (भागलपुर), अजित सिंह 09893122102, आशेंद्र भदौरिया 09425782254 (भोपाल)
(मोहल्ला से - ये कोसी का नहीं, करप्शन का कहर है - साभार)
सोमवार, 1 सितंबर 2008
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