मंगलवार, 4 नवंबर 2008

एक सिन्धी का दर्द

डा। रविप्रकाश टेकचन्दानी, दिल्ली विश्वविद्यालय में सिन्धी विषय के वरिष्ठ व्याख्याता हैं. अपनी कविता 'एक सिन्धी के दर्द' में उन्होंने सिन्धी समाज के एक प्रतिनिधि के नाते अपनी बात कही है. बकौल टेकचन्दानी- ४७ का मतलब पूरे देश के लिए आज़ादी हो सकती है लेकिन सिन्धी समाज को मिला विखण्डित भारत. हमारा सबकुछ पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में छूट गया. ' आज सिन्धी समाज के लोग अपने ही देश में विस्थापितों की तरह जीने को मजबूर हैं. सरकार कुछ सोच रही है इस समाज के लिए.
आइय कविता के माध्यम से उस समाज के दर्द को समझने का प्रयत्न करें।

'एक सिन्धी का दर्द'
करते हो याद साल दर साल आजादी को
सैंतालिस की काली रात भी याद कर तो देखो,
खून, बलात्कार, बिछोह, खुद बखुद नजर आएगा
किसी सिन्धी की आंखों में झांक के तो देखो.

कहते हो क्या हुआ जो सिंध छोड़ आए
अपने मोहल्ले को ज़रा छोड़ कर तो देखो,
बिछोह के दर्द का एहसास अभी-अभी हो जाएगा
अपनी माँ से दो पल दूर होकर तो देखो.

पढ़ते हो हर रोज सिंध को अखबारों के अक्षरों में
कभी करांची या सक्खर घूम कर तो देखो,
विभाजन के खँडहर साफ़-साफ़ दिखा जाएंगे
आजादी की नींव में लगा पत्थर तो देखो.

उठाते हो बेजा सवाल देश भक्ति का,
मिलेगा कहाँ ऐसा मिसाल खोजकर देखो,
सिंधियों के सामर्थ्य के तप का अनुभव हो जाएगा
किसी सिन्धी महिला के गर्भ से जन्म लेकर तो देखो.

करते हो पैदा डर की मीट जाएंगे
हवाओं में ये डर पैदा कर तो देखो,
जर्रे-जर्रे में 'रवि' हयात नजर आएँगे
पूरी कायनात में सर उठाकर तो देखो.

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सिन्ध छुटने का दर्द तो निश्चित होगा उस पीढी को किन्तु अन्यथा तो सिंधी समाज के साथ कोई समस्या यूँ नहीं दिखती.

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

आज इस देश में सबसे बड़ी समस्या जो सिंधियों के साथ है, वो पहचान के संकट का सवाल है. वो अपनी जड़ों से कट गए. यह बात कविता में भी आई है. साथ ही ४७ से इस देश में रह रहे हजारों सिंधी ऐसे हैं जिन्हें आज तक भारत सरकार ने यहाँ की नागरिकता नहीं दी. नागपुर और अहमदाबाद जैसे शहरों में वीजा ख़त्म होने के बाद भी छीप कर रह रहे उन सिंधियों के लिए क्या कहेंगे, जो पकिस्तान लौटे तो जान से जाएँगे.

बेनामी ने कहा…

प्रधानमंत्री पड़ के प्रबलतम दावेदार एक सिन्धी ही हैं, देश का आधे से ज़्यादा रीटेल कारोबार सिन्धिओं के तों में है. सन ४७ के बाद hidustan में पैदा हुआ कोई सिन्धी ऐसा भी है जिसे नागरिक मानाने से इंकार कर दिया गया हो? वह अदालत में सरकार के खिलाफ याचिका क्यों नहीं दायर करता?

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

देश का प्रधानमन्त्री एक सिन्धी बनने वाला है, यह एक बात आपने कही है. लेकिन इस देश में एक से अधिक राष्ट्रपति मुसलमान हो चुके हैं. और मुसलमान अच्छे-अच्छे पदों पर है. टीम इंडिया से लेकर अच्छे-अच्छे पदों पर मुसलमान हैं. उसके बाद सच्चर कमेटी की रिपोर्ट क्या कहती है- यह किसी से छूपा नहीं हैं.

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम