बिहार में सुपौल से खगडिया जाते हुए, रास्ते में मिलने वाले एक लाइन होटल (ढाबा) पर दिखी इस तस्वीर पर निगाह रूक सी गई. वजह यह कि आज से पहले जिन तस्वीरों को मालायुक्त देखा था, वह या तो किसी इश्वर की तस्वीर थी, अथवा किसी मृतात्मा की. हमारे साथ जा रहे एक साथी के शब्दों में जिसने इस तस्वीर पर माला डाली है, वह कोई दार्शनिक प्रवृति का व्यक्ति रहा होगा. चूकि उसने पुष्पहार इस बाला के गले में डाल कर जीवन का वरन किया है।
खैर, यह तो हुई बतकही की बात लेकिन आपमे से कोई इन 'देवी' को जानता हो तो कृपया इनका परिचय जरूर दें.
6 टिप्पणियां:
यही तो वह देवी है जिसकी चरण वंदना में मैंने कलम समर्पित कर दी है ..नाम तो खुद सोचना पड़ेगा आपको.
प्रेम की देवी प्रतीत होती है, जो सर पर प्रेम की टोकरी लिये स्वच्छंद घूम रही है!
देवी नहीं तो तस्वीर ही सही...बस माला डाल दी...प्रेम तो छवियों से भी हो सकता है ना.
अगर मेरा अनुमान ठीक है तो यह तस्वीर "राजा रवि वर्मा" की एक कलाक्रति है.
achha laga, photo ya haar hi nahi, aapka observation bhi. tasweeron ke prati ek khas samvedansheelta aapke blog main dikhai parta hai, asha hai, aage bhi eeske darshan hote rahegne.
एक टिप्पणी भेजें