क्या आप कुछ कहेंगे ?????????????????????
हाल ही में सऊदी अरब की हरम रेल परियोजना के लिए काम कर रहे छह सौ से ज्यादा चीनी नागरिकों ने इस्लाम क़ुबूल किया है. उन्होंने मक्का में हुए एक जलसे के दौरान कलमा पढ़कर इस्लाम को अपनाया. गल्फ़ न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़ चीनी रेल कंपनी के ये कामगार मक्का को जेद्दा और रबिग से के रास्ते मदीना से जोड़ने वाली रेल 450 किलोमीटर लंबी रेल परियोजना पर काम कर रही है. उनकी कंपनी ने अरबों की लागत वाली इस परियोजना का ठेका लिया है.
मक्का प्रशासक मंडल के सचिव डॉ. अब्दुल अज़ीज़ अल खुदाहिरी ने बताया कि हरम इलाके के बाहर अराफ़ात में बने कार्यस्थल पर इन कामगारों को चीनी भाषा में इस्लाम की जानकारी देने वाली एक किताब बांटी गई थी. इस किताब से चीनी कामगार इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 24 घंटे के अंदर ही इस्लाम क़ुबूल कर लिया. इनमें से 70 कामगार मक्का मोनो रेल परियोजना से जुड़े हैं जो मीना, मुजदालिफा और अराफात के धार्मिक स्थलों को जोड़ती है। इस परियोजना में क़रीब पांच हज़ार चीनी कामगार काम कर रहे हैं.
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गुरुवार, 1 अक्तूबर 2009
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9 टिप्पणियां:
किताब एक किताब से प्रभावित होकर 24 घंटे के अंदर ही इस्लाम क़ुबूल कर रहे हैं तो हो सकता है इससे अच्छी कोई किताब उन्हें मिले तो २० घंटे के अन्दर ही कोई दुसरा धर्म स्वीकार लें, क्यों?
इस खबर की पुष्टि तो अभी तक हुई नहीं है ... क्या पता प्रचार के लिए ही ये झूठी खबर फैलाई जा रही हो ?
कहने वाले कह देंगे चीन का भी पतन निश्चित
हमें पता नहीं था कि चीन के नागरिकों का मानसिक स्तर (IQ लेवल) इतने नीचे बिन्दु पर है…
[एक ही पोस्ट (खबर) को पिछले 8-10 दिन में नाम बदल-बदलकर कई ब्लाग्स पर देखने से लगता है कि शायद हिन्दी ब्लागरों का IQ लेवल भी उसी स्तर का समझा जा रहा है] :)
अंशु जी! यह सिर्फ़ एक ख़बर है...अपने इसे हमारे बयान की तरह पोस्ट किया है...राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार जी ने हमारी किताब की प्रस्तावना लिखी थी, जिसे पिछले दिनों हमने अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया था...आप जिस तरह इस ख़बर का प्रचार कर रहे हैं, उस प्रस्तावना का भी किया होता तो हमें बेहद ख़ुशी होती...लगता है कि आप पत्रकार बनने की बजाय किसी राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता बनने की फिराक़ में हैं...छोटे भाई को हमारी शुभकामनाएं...
अंशु जी! यह सिर्फ़ एक ख़बर है...अपने इसे हमारे बयान की तरह पोस्ट किया है...राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार जी ने हमारी किताब की प्रस्तावना लिखी थी, जिसे पिछले दिनों हमने अपने ब्लॉग पर पोस्ट किया था...आप जिस तरह इस ख़बर का प्रचार कर रहे हैं, उस प्रस्तावना का भी किया होता तो हमें बेहद ख़ुशी होती...लगता है कि आप पत्रकार बनने की बजाय किसी राजनीतिक पार्टी का प्रवक्ता बनने की फिराक़ में हैं...छोटे भाई को हमारी शुभकामनाएं...
फिरदौस जी,
फिर तो आपको अपने बलोग 'मेरी डायरी' पर इस बात का उल्लेख करना चाहिए था, आपके बलौग पर तो वह यूं ही छापा है जैसे आपकी खबर हो, यहाँ तो आपका स्पष्टीकरण आ गया अब यदि आप अपने बलोग (http://firdaus-firdaus.blogspot.com/2009/09/blog-post_30.हटमल) को भी दुरुस्त कर लें तो उसके पाठको को असुविधा नहीं होगी.
यह खबर कविता जी के 'हिंदी भारत' नामक ग्रुप के १ अक्टूबर को आए मेल से साभार लिया गया है ... साभार: हिंदी भारत
वाह शुभ खबर.....अब कम से कम किताब के बल पर ही फैलेगा इस्लाम...तलवार के बल पर नहीं...वाह वाह...अद्भुत...कामगार का मतलब मजदूर ही होता है न? बड़े पढ़े लिखे थे वे लोग...पता नहीं किताब हिब्रू में था या अरबी में...वैसे अल्लाह की जुबान एक है....किसी भी भाषा में रही हो...चीनी मजदूर रात भर में पढ़ और समझ गये ही होंगे...अलाह के(बन्दों के) आगे किसकी चली है या चलने दी गयी है कभी....बधाई फिरदौस जी...मोबारक हो.
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