शुक्रवार, 5 मार्च 2010
आजा हँस ले हमारे संग
विनीत पाण्डेय कवि हैं, हास्य की कविता लिखते हैं. मुखर्जी नगर (दिल्ली) रहते हैं. आज ही उनका स्क्रेप मिला. खास यह था कि स्क्रेप में सिर्फ कविता नहीं थी, एक तस्वीर भी थी. उनकी कविता और यह तस्वीर सिर्फ गुदगुदाती नहीं, कुछ सोचने के लिए भी विवश करती है. विनीत के लिए शुभकामना. यूं ही हंसते हंसाते रहे.
ये अनोखा जॉब देखो साब का रुआब देखो
कंधे पे बिठाये हुए लिए जा रहा है वो
जो आदेश होगा उसे पालन तो करना है
जी हुज़ूर जी हुज़ूर किये जा रहा है वो
घोडा गधा समझ के भूल नहीं करना जी
सच्चा इंसान सेवा दिए जा रहा है वो
लोग हरिद्वार बस अस्थियाँ ही ले के जाते
देखो पूरा अफसर लिए जा रहा है वो
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