शनिवार, 25 सितंबर 2010
हिंदी मंच पर विवादित एक कविता
कोई कवि हैं एम्० सी० गुप्ता 'खलिश साहब उनकी इस कविता पर इस समय कुछ मंचीय कवियों को आपत्ति है....
हे हिंदी-कवि हाय तुम्हारी यही कहानी /
प्रतिक्रिया देने में भी करते मनमानी
उर्दू शायर कहते हैं इरशाद बराबर /
वाह कहते हिंदी वालों की मरती नानी
हिंदी कवि है अंधे भिखमंगे की भाँति /
बाँटें पायें रेवड़ियाँ क्या कारस्तानी
बोल प्रशंसा के मुँह से भूले न फूटें /
इक दूजे की नाहक करते खींचातानी
अपने को ही प्रेरें करते हैं गुटबंदी /
ऐसों को क्यों कविता अपनी 'खलिश' सुनानी.
क्या आप भी मानते हैं कि कविता आपत्ति लायक है?
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6 टिप्पणियां:
अनापत्ति प्रमाण पात्र मेरी तरफ से.
बहुत बढ़िया कविता है...
भाई आशीष ,यह कविता ही नही हैं.. केवल तुकांत मिला देना ही कविता नही होती...
यह विचार हो सकता है ...विचार अच्छा बुरा भी हो सकता...हमे बस इस बात की आपति है की इसे
कविता कहा जा रहा है
भाई आशीष ,यह कविता ही नही हैं.. केवल तुकांत मिला देना ही कविता नही होती...
यह विचार हो सकता है ...विचार अच्छा बुरा भी हो सकता...हमे बस इस बात की आपति है की इसे
कविता कहा जा रहा है
भाई आशीष ,यह कविता ही नही हैं.. केवल तुकांत मिला देना ही कविता नही होती...
यह विचार हो सकता है ...विचार अच्छा बुरा भी हो सकता...हमे बस इस बात की आपति है की इसे
कविता कहा जा रहा है
भाई आशीष ,यह कविता ही नही हैं.. केवल तुकांत मिला देना ही कविता नही होती...
यह विचार हो सकता है ...विचार अच्छा बुरा भी हो सकता...हमे बस इस बात की आपति है की इसे
कविता कहा जा रहा है
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