मंगलवार, 29 मार्च 2011

दिल्ली के कामकाजी बच्चो के बीच फीफ्टीन-फीफ्टीन








जब भारतीय टीम का मैच दूसरे देशों की क्रिकेट टीमों के साथ होता है, तो स्टेडियम में तिरंगें के तीन रंगों में रंगे हुए चेहरे, भारतीय क्रिकेटरों के समान नीली जर्सी पहने हुए लोगों और छक्कों तथा चौकों के नारे लगाते हुए देश प्रेम की भावना से भरी भीड़ का नजारा देखते ही बनता है। क्योंकि क्रिकेट सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला और दुनिया भर में लोकप्रिय खेल है। हर व्यक्ति इन मैचों को देखना पसंद करता है।

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इन दिनों वर्ल्ड कप 2011 का बुखार पूरी तरह से लोगों के सिर चढ़ चुका है और दिलचस्प बात यह है कि भारतीय टीम भी सेमीफाइनल में अपनी जगह बनाने के योग्य बन चुकी है। लेकिन इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण और दिलचस्प खबर यह है कि इस वर्ल्ड कप के दौरान बुधवार को भारत और पाकिस्तान के बीच खेला जाने वाला यह पहला मैच होगा, जो कि अपने आप में ही एक बड़ी खबर है। अब तो दांव पर दांव भी लगाए जा रहे हैं कि कौन वर्ल्ड कप जीतेगा। क्रिकेट के दीवाने लोग भारतीय टीम की विजय के लिए उपवास, हवन, प्रार्थना आदि कर रहे हैं। इनकी इस फेहरिस्त में सड़क व कामकाजी बच्चों की भी एक अच्छी खासी संख्या है, जो क्रिकेट के अत्यधिक प्रेमी हैं।

भारतीय टीम का हौसला अफजाई करने लिए सड़क एवं कामकाजी बच्चों ने भीे अपनी कठिन और व्यस्ततम दिनचर्या के बावजूद ‘‘सड़क की गुगली’’ नाम का एक क्रिकेट मैच खेला। यह मैच सड़क एवं कामकाजी बच्चों के साथ कार्यरत संगठन चेतना द्वारा प्लान इंडिया के सहयोग से आयोजित किया गया। इस टूर्नामेंट के मैच विभिन्न सीरीजों में भारत के अलग-अलग शहरों जैसे- झांसी, ग्वालियर और आगरा में खेले गए। टूर्नामेंट का फाइनल मैच 29 मार्च, 2011 को इंद्रप्रस्थ पार्क (सराय काले खां के समीप) में सुबह 10ः30 बजे आयोजित किया गया। यह मैच दो टीमों निजामुद्दीन टीम और वेस्ट दिल्ली टीम के बीच खेला गया। प्रत्येक टीम में 11 खिलाड़ी थे और यह ट्वेन्टी-ट्वेन्टी की तर्ज पर फीफ्टीन-फीफ्टीन मैच था। अर्थात दोनों टीमों ने पन्द्रह-पन्द्रह ओवर की गेन्दबाजी की। टूर्नामेंट को जीतने के लिए 37 रनों का लक्ष्य रखा गया। आखिरकार, निजामुद्दीन टीम ने धुआंधार बल्लेबाजी करते हुए चार विकेटों से टूर्नामेंट का यह फाइनल मैच जीत लिया। मैच का समापन टीम इंडिया के विजय घोष के नारों व खुशियों से भरे माहौल के साथ हुआ। विजेता टीम के कप्तान ने कहा कि यह जीत हमारे लिए उतनी मायने नहीं रखती, जितनी कि टीम इंडिया का वर्ल्ड कप जीतना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हम भारतीय टीम को विश्व की सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट टीम मानते हैं।

वास्तव में जिस प्रकार से क्रिकेट में गुगली का अर्थ एक ऐसे खेल से है, जो फेंके जाने के बाद अपनी दिशा बदल लेती है। ठीक उसी प्रकार सड़क व कामकाजी बच्चे भी होते हैं, जो उचित मार्गदर्शन मिलने पर गुगली के समान अपने जीवन की दिशा बदल सकते हैं। हमें उम्मीद है और हम चाहते हैं कि इन नन्हें खिलाड़ियों के पसीने व्यर्थ न जाएं, क्योंकि यह केवल एक क्रिकेट मैच नहीं है बल्कि यंग इंडिया के लिए जयकार और मुस्कान का एक कारण भी है।

1 टिप्पणी:

अनूप शुक्ल ने कहा…

पोस्ट और फोटो बहुत अच्छे लगे। शुक्रिया!

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम