बुधवार, 14 मई 2008

चकमक से तीन बाल कवितायें















भोपाल में शिवनारायण भाई के साथ 'एकलव्य' के दफ्तर जाना हुआ। वही से 'चकमक' में प्रकाशित कुछ कवितायें अपने ब्लॉग बंधुओं के लिय उठा लाया।

7 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहुत अच्छा किया । कविताएं 'चकमक' में छपी हैं या 'एकलव्य' के परचों में ?

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

कविताएं 'चकमक' कार्यालय से बरामद हुई हैं
उन्होने इन प्यारी कविताओं को प्रवेश द्वार पर ही लगा रखा है.

विजय गौड़ ने कहा…

एकलव्य की साईट से चकमक का लिंक ढूंढ कर भी देते तो बहुत से पाठकों का परिचय चकमक से स्वंय ही हो जाता. सुविधा के लिये इस लिंक का इस्तेमाल कर सकते है. यह मैने एकलव्य की साईट से है :-
http://www.eklavya.in/go/index.php?option=com_content&task=category§ionid=13&id=57&Itemid=84

Jaijairam anand ने कहा…

बढिया कविताये है।

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत बढ़िया कविताऐं लायें है बच्चो के लिए. आभार.

शिवनारायण गौर ने कहा…

असल में एकलव्य ने इनको कविता पोस्टरों के रूप में छापा है। यही नही इस तरह की कविताओं की एकलव्य ने किताबें भी प्रकाशित की है। ये कवितायें एकलव्य के प्राथमिक शिक्षण कार्यक्रम की पाठ्य पुस्तक खुशी खुशी में संकलित है। चकमक एकलव्य का ही प्रकाशन है। बहरहाल अंशु भाई को ब्लाग पर कविताओं को डालने के लिए धन्यवाद।

Dr. Chandra Kumar Jain ने कहा…

श्रेष्ठ.....सुंदर....प्रस्तुति.
बधाई
डा.चंद्रकुमार जैन

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम