गुरुवार, 26 जून 2008
प्रेस नहीं रेस
मृत्युंजय जहानाबाद के एक अखबार में पत्रकार हैं, पिछले दिनों उनसे मुलाकात हुई। बातचीत के दौरान मेरी नजर उनके मोटरसायकल पर गई। लिखा था रेस। 'भाई साहब यह रेस का अर्थ क्या होता है।' (वैसे प्रेस का आज अर्थ है पी आर अच्छा
हो तो -इ एस- ऐश) खैर मृत्युंजय भाई ने बताया, बिहार में कोई प्रेस नहीं है (पत्रकारिता के अर्थ में) यहाँ तो आगे निकालने की रेस (होड़) ही लगी है।
अब भाई साहब को कौन बताए कि दिल्ली और भोपाल में यह रेस और भी तेज है। अन्य जगह भी हालत कोई सुधरी हुई नहीं है।
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3 टिप्पणियां:
आपका कार्य ब्लॉग जर्नलिज़्म का सराहनीय उदाहरण है !
जारी रखें !
सुजाता
sandoftheeye.blogspot.com
इस हौसला अफ़जाई के लिए शुक्रिया सुजाता जी
farzee logo ki baat pe dhyaan mat do. tum sahi ho. bus koi galti yadi hui thi to use sudhar lena.
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