सोमवार, 7 जुलाई 2008

सीहोर एक्सप्रेस की तेज रफ़्तार

मध्य प्रदेश जहाँ की आवाम ने हमेशा अच्छे खिलाड़ियों को आंखों पर बिठाकर रखा। जहाँ की सरकार भी गाँव और छोटे कस्बों से खेल के क्षेत्र में बेहतर करने की सम्भावना वाली प्रतिभाओं को तलाशने के लिए प्रयत्नशील है। जिससे इन खिलाड़ियों की प्रतिभा को योग्य कोच की देखरेख में बेहतर प्रशिक्षण देकर और निखारा जा सके।
इन तमाम तरह के सरकारी-गैरसरकारी प्रयासों की नजर ना जाने कैसे मध्य प्रदेश के 'सीहोर एक्सप्रेस' मुनिस अंसारी पर अब तक नहीं पड़ी। जबकि इस खिलाड़ी की तेज रफ़्तार गेंद की सनसनाहट को सिर्फ़ भोपाल ने नहीं बल्कि 'ऑल इंडिया इस्कोर्पियो स्पीड स्टार कांटेस्ट' के माध्यम से देशभर ने महसूस किया। वह राज्य की राजधानी भोपाल से महज २५-३० किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक छोटे से कस्बे सीहोर से ताल्लुक रखता है। उसने सीहोर की गलियों में बल्ले और गेंद के साथ खेलना उसी तरह शुरू किया जैसे उसके बहूत सारे साथियों ने किया था। हो सकता था वह भी अपने तमाम साथियों की तरह गुमनामी में खो जाता। यदि उसे स्पीड स्टार कोंटेस्ट की जानकारी नहीं मिलती।
सीहोर की गलियों के इस तेज गेंदबाज की गेंद का सामना करने मुम्बई के मैदान में हरभजन सिंह आए। पहली गेंद हरभजन समझ नहीं पाए। दूसरी गेंद ने हरभजन के बल्ले को तोड़ दिया। तीसरी गेंद पर उनके हाथ से बल्ला छिटक कर दूर जा गिरा। औसतन वे १४० किलोमीटर प्रति घंटा की रफ़्तार से वह गेंद फेंक रहा था। उसकी गेंदबाजी की प्रतिभा को देखकर उस समय bharatiy team के कोच ग्रेग चैपल, कप्तान राहुल द्रविड़, वसीम अकरम, किरण मोरे खास प्रभावित हुए थे। बावजूद इसके मध्य प्रदेश की क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड उसे रणजी खेलने लायक भी नहीं समझती।
मुनिस कहता है - 'अगर मेरा कोई गाड फादर होता तो मैं अबतक नेसनल खेल चुका होता।'
मुनिस का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। उसके पिता मुस्तकीन अंसारी एक दिहाडी मजदूर हैं। परिवार की हालत अच्छी नहीं होने की वजह से वर्ष २००० में मुनिस ने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया। ०४ साल उसने 'ऑयल फीड' कंपनी में बतौर सेक्युरिटी गार्ड काम किया। यह मुनिस की जिंदगी का वह वक़्त था। जब दीवान बाग़ क्रिकेट क्लब और क्रिकेट कहीं पीछे छूट गए थे। और वह रोटी कमाने की मशक्कत में जूट गया था। उसका क्रिकेट के साथ रिश्ता ख़त्म ही जाता यदि स्टार ई एस पी एन पर तेज गेंदबाजों की तलाश सम्बन्धी विज्ञापन नहीं आया होता। इस विज्ञापन को देखने के बाद बड़े भाई युनूस अंसारी ने मुनिस को प्रतियोगिता में जाने के लिए प्रेरित किया। ग्वालियर में ४००० गेंदबाजों के बीच पूरे मध्य प्रदेश से इकलौते मुनिस का चयन इस प्रतियोगिता के लिए हुआ।
'ऑल इंडिया स्कोर्पियो स्पीडस्टार कोंटेस्ट ' का प्रसारण चैनल सेवेन पर हुआ। (अब आई बी एन सेवेन) पर हुआ ने किया। यह क्रिकेट प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम था। तीन साल पहले हुए इस कोंटेस्ट के बाद सीहोर एक्सप्रेस मुनिस का नाम मध्य प्रदेश के क्रिकेट प्रेमियों की जुबान पर छा गया, बस इस नाम को प्रदेश रणजी समिती की चयन समिति नहीं सून पाई। वरना बात आश्वासन तक ना रूकती। मुनिस का चयन भी किया जाता।
खेलने की उम्र निश्चित होती है, अपनी युवा अवस्था में एक खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दे सकता है। ऐसे में मुनिस जैसे अच्छे खिलाड़ी की उपेक्षा करके हम अपनी क्रिकेट टीम को ही कमजोड बना रहे हैं।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

इसी विडंबना का शिकार न जाने कितनी ही प्रतिभायें हर क्षेत्र में खो जाती हैं. आपने अच्छा मुद्दा उठाया है.

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम