समीरलाल जी की यह टिप्पणी, अपने पोस्ट पर टिप्पणी चाहने वाले हर चिट्ठाकार के लिए मुझे लगता है अनुकरणीय है। जो अपनी पोस्ट पर टिप्पणी नहीं चाहते ऐसे बंधू भी यहाँ योगदान करें तो ग़लत नहीं कहा जाएगा।
लिखते हैं, अपने ब्लॉग पर छापते हैं। आप चाहते हैं लोग आपको पढ़ें और आपको बतायें कि उनकी प्रतिक्रिया क्या है। ऐसा ही सब चाहते हैं.कृप्या दूसरों को पढ़ने और टिप्पणी कर अपनी प्रतिक्रिया देने में संकोच न करें.हिन्दी चिट्ठाकारी को सुदृण बनाने एवं उसके प्रसार-प्रचार के लिए यह कदम अति महत्वपूर्ण है, इसमें अपना भरसक योगदान करें.-
समीर लाल-
उड़न तश्तरी
रविवार, 7 सितंबर 2008
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7 टिप्पणियां:
bilkul sahi kaha ji aapne..main aapki vicharo ka pura samarthan karta hu..
पूरी तरह सहमत है।
अच्छी कोशिश है...
हिन्दी और हिन्दी चिट्ठाकारिता को इसी तरह के प्रोत्साहनों की जरूरत है.
sir aapne sahi kaha hai. main aap ke vichro se sahmat hu.
sahee keha aapane !
अच्छा है. बेहतरीन है . बधाई.
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