जयपुर के हाथी आजकल वैश्विक मंदी के शिकार हैं. अक्टूबर से मार्च तक का समय जो इनके लिय सबसे ख़ास होता था. इस बार मंदी की वजह से गड़बड़ है. आमेर गाँव के रहने वाले महावत इरफान ने बताया कि हर एक हाथी को अपने बच्चे की तरह पालना पङता है. इनपर हर साल पाँच लाख रूपये का खर्च आ जाता है. अब जब विदेशी पर्यटक इस मंदी में आएँगे नहीं तो कैसे इन हाथियों का लालन पालन होगा. एक जमाने में आमेर किले के एक दिन में १७-१७ राउंड लगा चुके हाथियों को इन दिनों दो राउंड लगाना भी मुश्किल पड़ रहा है. जयपुर में विदेशी पर्यटकों की नई बुकिंग ना के बराबर है.
मंगलवार, 25 नवंबर 2008
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5 टिप्पणियां:
बड़ा दुःख हुआ जान कर.... आमेर में हाथी की सवारी एक बहुत बड़ा आकर्षण हुआ करता था...बुरा हो इस मंदी का...
नीरज
बहुत अच्छी जानकारी
हमारे लघु उद्योग समय की बलि चढ़ते ही रहे हैं! आशा है हमारे पर्यावरणविद आगे आयेंगे और इन मासूम पशुओं की रक्षा करेंगे। आखिर अब तक वे इन्सानों का उदर-पोषण जो करते रहे हैं।
please ye black background hata den padhne aur tasveeren dekhne me bahut pareshani hoti hai.
All Elephants are not legal, so called owners treat them for profit, why these captive Elephants not in their natural habitat.....?, I took this matter in the Jaipur High court.....
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