गुरुवार, 27 मार्च 2008
बुंदेलखंड: तीन युवतियों का प्रयास
महोबा के पनवाडी ब्लोक के पहाडिया गाँव में करीब १७० परिवार हैं। प्राकृतिक आपदा और पानी की कमी से यहाँ की फसलें चौपट हो गई हैं। जिसकी वजह से गाँव के कई परिवार भुखमरी की हालत में पहुच गए। ऐसे समय में ४ लाख रुपए कर्ज तले दबे रामकुमार परिहार की दो बेटियों गुडिया और रीना ने अपनी एक सहेली नीतू के साथ मिलकर ऐसे जरुरत मंद गाँव वालों की मदद करने की ठानी जो दाने-दाने को मोहताज हैं। ये लड़कियां जरुरतमंदों की मदद के लिय गाँव में दादर (गाने बजाने की महफ़िल) आयोजित करती हैं। इससे जो आखत ( गीत सुनने वालों द्वारा दिया गया धन या अनाज) आता है। उसे इकठा कर जरुरत मंद परिवारों तक ये लड़कियां पहुचाती हैं। वाकई इन्हे देखकर प्रेरणा मिलती। शाबाश लड़कियों।
मंगलवार, 25 मार्च 2008
कालाहांडी और विदर्भ के रास्ते पर बुंदेलखंड
बदहाली, सुखा और भुखमरी के हाथों जब बुंदेलखंड के सात जिले झांसी, जालौन ललितपुर , बांदा, महोबा, हमीरपुर, और चित्रकूट का नसीब लिखा जा रहा हो, ऐसे में इन जिलों में पटरियों पर लगाने वाले खोमचे और रेहडियो के साथ-साथ जिला अधिक्षको के आदेश से लगाया गया यह संदेश 'बेकार' बैठना मना है आपको सोचने पर विवश कर सकता है कि इस प्रदेश का बेरोजगार किसान-मजदूर क्या करे ? यहाँ काम तलाश रहे हाथों को काम नहीं है और सरकारी फरमान है कि खाली बैठ नहीं सकते। अब यह मजबूर किसान मजदूर जाय तों कहाँ जायें। करे तों क्या करें? जिसने बेकार बैठने पर प्रतिबन्ध लगाया है वही कोई रास्ता सुझाय?
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