शुक्रवार, 8 सितंबर 2017

संवाद 'अच्छे लोगों' से...


डांडी (नवसारी) गुजरात से चम्पारण (बिहार)
यात्रा की दूरी : 1700 किमी
यात्रा का समय: 02 अक्टूबर 2017 से 15 अक्टूबर 2017 तक

वर्ष 2017 गांधी सत्याग्रह के 100 साल पूरे होने का साल है। यह सही समय होगा गांधी को थोड़ा ठहर कर याद करने का। प्रयासपूर्वक गांधी के अनुकरण का। गांधी के लिखे को पढ़ने का। गांधी की तरफ दो कदम लौटने का। सड़क से लेकर मीडिया तक हम जिस शोर से इन दिनों गुजर रहे हैं, हमें पता ही नहीं कि इस शोर से गुजरना एक 'हिंसा' से गुजरने की तरह है। बहरहाल हम बात वर्तमान पत्रकारिता की करें तो यही वजह है कि आज अखबार और टेलीविजन की पत्रकारिता के प्रति समाज में निराशा व्याप्त है। एक आम आदमी के लिए उम्मीद की किरण कहां है, सुबह—सुबह अंधेरे को चिरती धरती पर पसरती वह सूरज की रोशनी कहां है? पुलिस थाने की छवि आज लूट के अडडे की बन गर्इ् है, न्यायालयों की ईंट—ईंट मानों पीड़ितों के शोषण की गवाही दे रही हों, राजनीति से आम आदमी का विश्वास पहले ही हिला हुआ है। शिक्षकों की छवि देश भर में शिक्षा मित्रों ने अनपढ़ों की बना दी है। मानों इस समय पूरी सृष्टि ही मिलकर देश को निराशा में धकेलने के लिए कोई षडयंत्र कर रही हो।
ऐसे समय में लगा कि समाज को इस तपती धूप से बचाने वाला कोई गांधीजी जैसा वटवृक्ष ही हो सकता है और फिर गांधी मार्ग पर डांडी से चंपारण तक एक यात्रा की योजना ऐसे बनी। चम्पारण सत्याग्रह के 100 साल पर यह यात्रा होगी 100 'अच्छे लोग' की पहचान के लिए। अच्छे लोग से मेरा तात्पर्य सिर्फ इतना है कि जिस व्यक्ति के जिम्मे जो काम था, वह काम उसने पूरी शिददत से किया। दिल्ली के हिन्दू कॉलेज के प्राध्यापक डॉ रतन लाल दशरथ माझी के नाम पर एक पुरस्कार देते हैं। इस पुरस्कार को पाने वाले एक अच्छे लोग से मैं मिला। वे एक कॉलेज में चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी थे लेकिन जब तक उन्होंने नौकरी की, एक दिन भी कॉलेज एक मिनट देरी से नहीं पहुंचे। उनका काम कॉलेज का दरवाजा खोलना था, उनके लिए एक शिकायत नहीं थी कि कोई प्राध्यापक या छात्र कॉलेज के दरवाजे पर आया हो और दरवाजा खुला ना मिला हो। मेरी यात्रा के अच्छे लोग वे हैं, जिन्होंने वकालत की तो इस पेशे का मान बढ़ाया, शिक्षक हुए तो छात्रों में पढ़ने के प्रति लगाव बढ़ा, पुलिस वाले हुए तो अपराधियों में खौफ की वजह बने और आम आदमी के मन में विधि व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ा। पत्रकार हुए तो समाज के अंतिम आदमी को लगा कि अब उसकी बात भी सुनी जाएगी। नेता हुए तो उसके दरवाजे पर जाते हुए जनता ने समय नहीं देखा। वे पहुंच गए और जनता की सेवा के लिए नेताजी ने भी कभी घड़ी की तरफ नहीं देखा।
डांडी से चंपारण की राह आप सबके साथ इस उददेश्य के साथ कर रहा हूं कि इस राह में आप किसी 'अच्छे लोग' को जानते हैं तो उनका परिचय हमसे जरूर कराएं। उनका परिचय और कॉन्टेक्ट नंबर हमें वाटसएप करें। या हमें फोन कीजिए। इन दो कामों के लिए एक ही नंबर है— 91 9971598416



जिस रास्ते पर चल कर होगी डांडी से चंपारण की यात्रा पूरी
नवसारी— सूरत — अंकलेश्वर — भरूच — बड़ोदरा— गोधरा — दाहोद — मेघनगर — रतलाम— नागदा — उज्जैन — शाजापुर — सारंगपुर — कुम्भराज— विजयपुर — गुना — अशोक नगर — मुगौली— बीना — ललितपुर — बबिना — झांसी — उरई — काल्पी — पोखरिया — कानपुर — उन्नाव — लखनऊ— बाराबंकी— रूदौली— फैजाबाद— अयोध्या — अकबरपुर— शाहगंज — सरायमिर — आजमगढ़ — मोहम्मदबाद— मऊ— इन्द्रा जंक्शन — बलिया — छपरा — सोनपुर — हाजीपुर — मुजफ्फरपुर — बापूधाम

आप इस यात्रा में कैसे जुड़ सकते हैं—
— इस यात्रा के संबंध में अपने सुझाव देकर
— सोशल मीडिया पर इस संबंध में जानकारी साझा करके
— यात्रा के मार्ग में कुछ अच्छे लोगों का परिचय साझा करके
— जिन व्यक्ति के संबंध में आप जानकारी साझा कर रहे हैं, आपसे अपेक्षा होगी कि आप उनका कॉन्टेक्ट नंबर और उनका संक्षिप्त परिचय साझा करेंगे
— यदि आप इस रास्ते में कहीं मिल सकते हैं, तो वास्तव में आपसे मिलकर प्रसन्नता होगी
— अच्छे लोग की पहचान यात्रा में करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। इस काम में आप हमारी मदद कर सकते हैं।
— इस यात्रा को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता भी होगी। आप ईजी पेय के माध्यम से यात्रा को आर्थिक सहयोग दे सकते हैंं।
— सहयोग की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए आर्थिक सहयोग करने वाले मित्रों की सूचि इस यात्रा के पश्चात प्रकाशित पुस्तिका में करेंगे। इसलिए सहयोग करने वाले मित्रों से निवेदन होगा कि सहयोग के पश्चात अपना नाम और सहयोग की राशि 91 9971598416 पर जरूर एसएमएस कीजिए।

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम