दो शब्द
एक नमन, एक प्रणाम
मुम्बई हो या अक्षरधाम,
खाकी वर्दी की कुर्बानी
याद रखेगा हिन्दुस्तान.
--राजेश चेतन
मुम्बई हो या अक्षरधाम,
खाकी वर्दी की कुर्बानी
याद रखेगा हिन्दुस्तान.
--राजेश चेतन
एक्स -वाई की एक कहानी
एक्स के हर्ट रूम में ऐ, बी, सी, डी, ई, ऍफ़, जी ...... वाई जैसे ना जाने कितने स्विच थे. वह जब चाहती एक स्विच को ऑन करती और ऑन स्विच को जी भर कर दुलार करती. फ़िर उस स्विच को ऑफ कर दिया जाता. यह सिलसिला चलता हुआ वाई तक पहुंचा. उसे जी भर कर एक्स का दुलार मिला. जब बारी स्विच ऑफ की आई तो वह ऑफ होने को तैयार नहीं हुआ. वाई कोई विद्रोही किस्म का जीव जान पङता था. और एक्स को विद्रोह पसंद नहीं था. उसने फ़ौरन अपने हर्ट रूम के स्विच बोर्ड से वाई नामक स्विच को उखार फेंका. सुना है आजकल किसी 'क' नाम के स्विच ने वाई की जगह ले ली है. और 'ऑन' होने के लिए मचल रहा है.