शुक्रवार, 31 जुलाई 2009
गोरख पांडेय
सोचो तो मामूली तौर पर जो अनाज उगाते हैं
उन्हें दो जून अन्न ज़रूर मिलना चाहिए
उनके पास कपडे ज़रूर होने चाहिए जो उन्हें बुनते हैं
और उन्हें प्यार मिलना ही चाहिए जो प्यार करते हैं
मगर सोचो तो यह भी कितना अजीब है कि
उगाने वाले भूखें रहते हैं
और उन्हें पचा जाते हैं,
चूहे और बिस्तरों पर पड़े रहने वाले लोग
बुनकर फटे चीथडों में रहते हैं,
और अच्छे से अच्छे कपडे प्लास्टिक की मूर्तियाँ पहने होती हैं
गरीबी में प्यार भी नफरत करता हैं
और पैसा नफरत को भी प्यार में बदल देता है.
मंगलवार, 28 जुलाई 2009
सावधान:पंजाब केसरी की वेबसाईट कंप्यूटर के लिए खतरनाक
सावधान :
विश्वास ना हो तो आप खुद ही देख लो. सब आपके सामने हैं. आज एक मित्र ने जब यह सूचना दी तो पहले विश्वास नहीं हुआ. जब खुद देखा तो सब आँखों के सामने था. जो मैंने देखा वह आपके नजर कर रहा हूँ, यदि मेरे आँखों से किसी प्रकार का धोखा हुआ है तो मार्गदर्शन करें. वैसे यह जानकारी मैंने पंजाब केसरी के अपने एक परिचित तक पहुंचा दी है. उम्मीद है अखबार अपने वेबसाईट को लेकर सावधानी बरतेगा.
शनिवार, 25 जुलाई 2009
बाल ठाकरे के द्वारा बनाई गई पिता प्रबोधनकार ठाकरे की तस्वीर
गुरुवार, 23 जुलाई 2009
शनिवार, 11 जुलाई 2009
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आज दिनांक ११ जुलाई का 'हिन्दुस्तान टाइम्स' देखते समय कुछ ख़ास किस्म के विज्ञापनों पर नजर चली गई. यह विज्ञापन वैसे ना जाने कब से छप रहे होंगे. क्या आप लोगों की नजर गई कभी इस तरह के विज्ञापनों पर. विज्ञापनों की खासियत यह नजर आई की जहां मसाज का जिक्र है, वहां मसाज करने वाली युवती के मसाज करने सम्बन्धी योग्यता का कोई वर्णनं नहीं है. जिक्र आता है, उसकी खूबसूरती का. भले ही वह मसाज करने में निपूर्ण ना हो लेकिन वह मॉडेल होगी. सभी जगह मोबाइल नंबर का उल्लेख है. हो सकता है यह सारे विज्ञापन देने वाले कोई एक या दो व्यक्तियों का गिरोह हो. खैर, जो भी है जैसा भी है आपके सामने है.
शुक्रवार, 10 जुलाई 2009
कृपया कमजोर दिल वाले इन तस्वीरों को ना देखें
यह राजस्थान के एक हड्डी फैक्टरी की तस्वीरें हैं. इन हड्डियों से जैविक खाद से लेकर बौडी सप्लीमेंट तक बनाई जाती है. जिलेटीन इन्हीं हड्डियों से बनता है. ज़रा सोचिए यदि इन हड्डियों के निपटान के लिए हड्डी फैक्टरी ना होती तो उन गाँवों और शहरी स्थानों का क्या होता, जहां जानवर मरते, हमारे लिए जानवरों के मृत शरीर को निपटाना एक बड़ी समस्या नहीं बन जाती.
गुरुवार, 9 जुलाई 2009
रेचना: रूम के साथ टॉयलेट भी
बुधवार, 8 जुलाई 2009
शुक्रवार, 3 जुलाई 2009
मिस रूथ के मेल का कोई मतलब बता दो भाई
आज मेल पर किसी मिस रूथ का मेल (Ruthiney Toure ) इस आई डी से आया है.. साथ में उनकी तस्वीर भी सलग्न थी. तस्वीर और हिन्दी में आया मेल आप सबके सामने धर रहा हूँ.. किसी को अर्थ समझ आए तो कृपया कर विस्तार से बताएं..
नमस्ते प्रिय,
आपका दिन कैसा है? कृपया मुझे माफ कर अगर मैं आपकी गोपनीयता में हस्तक्षेप, मेरा नाम मिस दया toure, आयु 24, कद 5 फुट 11 इंच, वजन 61 मैं पश्चिम अफ्रीका में आईवरी कोस्ट से स्वर्गीय रुथ Abubaka Toure की ही बेटी हूँ, मेरे पिता के मालिक था Keita कोको उद्योग लिमिटेड की और वह करने के लिए एक निजी सलाहकार था हमारे पूर्व प्रमुख राज्य के (स्वर्गीय जनरल राबर्ट GUEI). मैं तुम्हें एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व से पहले मैं आपसे संपर्क करने के लिए मेरे मन बना रहे हैं मनाया. कृपया मुझे क्योंकि मैं चाहता हूँ आप के बारे में और अधिक महत्वपूर्ण बात यह सच्चे प्यार के साथ साझा करने के लिए और अधिक जानना चाहता हूँ, मैं मेरे साथ मैं एक अच्छा व्यवसाय में आप के साथ निवेश करने के लिए जो अच्छा लगेगा कुछ धन दिया है. मैं तुम्हें मेरे लिए इतना है कि मैं अपनी तरफ और मैं ने तुम्हारे साथ इस निवेश में भी अपनी अच्छी सलाह की आवश्यकता होगी जा सकते ईमानदार हो पाती.
सबसे पहले, मैं तुम्हें एक जीने के लिए क्या पता करने के लिए पसंद करेंगे, तो आप यही कारण है कि मैं पहली जगह में आप से संपर्क किया गया था इस साइट पर मेरा ध्यान पकड़ा याद है. जैसा कि हम साथ संवाद तुम मुझे ज्यादा पता चल जाएगा. मैं तुम्हें करने के लिए अपने चित्रों को भेजने करेगा.
अपने को समझने के लिए धन्यवाद, आप जल्दी से सुनने के लिए उम्मीद.
मेरे दिल से
मिस रूथ
नमस्ते प्रिय,
आपका दिन कैसा है? कृपया मुझे माफ कर अगर मैं आपकी गोपनीयता में हस्तक्षेप, मेरा नाम मिस दया toure, आयु 24, कद 5 फुट 11 इंच, वजन 61 मैं पश्चिम अफ्रीका में आईवरी कोस्ट से स्वर्गीय रुथ Abubaka Toure की ही बेटी हूँ, मेरे पिता के मालिक था Keita कोको उद्योग लिमिटेड की और वह करने के लिए एक निजी सलाहकार था हमारे पूर्व प्रमुख राज्य के (स्वर्गीय जनरल राबर्ट GUEI). मैं तुम्हें एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व से पहले मैं आपसे संपर्क करने के लिए मेरे मन बना रहे हैं मनाया. कृपया मुझे क्योंकि मैं चाहता हूँ आप के बारे में और अधिक महत्वपूर्ण बात यह सच्चे प्यार के साथ साझा करने के लिए और अधिक जानना चाहता हूँ, मैं मेरे साथ मैं एक अच्छा व्यवसाय में आप के साथ निवेश करने के लिए जो अच्छा लगेगा कुछ धन दिया है. मैं तुम्हें मेरे लिए इतना है कि मैं अपनी तरफ और मैं ने तुम्हारे साथ इस निवेश में भी अपनी अच्छी सलाह की आवश्यकता होगी जा सकते ईमानदार हो पाती.
सबसे पहले, मैं तुम्हें एक जीने के लिए क्या पता करने के लिए पसंद करेंगे, तो आप यही कारण है कि मैं पहली जगह में आप से संपर्क किया गया था इस साइट पर मेरा ध्यान पकड़ा याद है. जैसा कि हम साथ संवाद तुम मुझे ज्यादा पता चल जाएगा. मैं तुम्हें करने के लिए अपने चित्रों को भेजने करेगा.
अपने को समझने के लिए धन्यवाद, आप जल्दी से सुनने के लिए उम्मीद.
मेरे दिल से
मिस रूथ
गुरुवार, 2 जुलाई 2009
सुख को बैठे खटिया पर
इन्टरनेट पर यहाँ वहां की सैर करती हुई उदयपुर की श्रीमती अजित गुप्ता जी की यह रचना मेरे मेल तक भी पहुंची.. इस रचना को श्रीमती गुप्ता नवगीत कहती हैं..यह नवगीत पसंद आया .. इसलिए आपके सामने रख रहा हूँ. इस विश्वास के साथ की आप भी इसे पसंद करेंगे..
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर
अधनंगा था, बच्चे नंगे,
खेल रहे थे मिटिया पर।
मैंने पूछा कैसे जीते
वो बोला सुख हैं सारे
बस कपड़े की इक जोड़ी है
एक समय की रोटी है
मेरे जीवन में मुझको तो
अन्न मिला है मुठिया भर
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर।
दो मुर्गी थी चार बकरियां
इक थाली इक लोटा था
कच्चा चूल्हा धूआँ भरता
खिड़की ना वातायन था
एक ओढ़नी पहने धरणी
बरखा टपके कुटिया पर
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर।
लाखों की कोठी थी मेरी
तन पर सुंदर साड़ी थी
काजू, मेवा सब ही सस्ते
भूख कभी ना लगती थी
दुख कितना मेरे जीवन में
खोज रही थी मथिया पर
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर।
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर
अधनंगा था, बच्चे नंगे,
खेल रहे थे मिटिया पर।
मैंने पूछा कैसे जीते
वो बोला सुख हैं सारे
बस कपड़े की इक जोड़ी है
एक समय की रोटी है
मेरे जीवन में मुझको तो
अन्न मिला है मुठिया भर
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर।
दो मुर्गी थी चार बकरियां
इक थाली इक लोटा था
कच्चा चूल्हा धूआँ भरता
खिड़की ना वातायन था
एक ओढ़नी पहने धरणी
बरखा टपके कुटिया पर
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर।
लाखों की कोठी थी मेरी
तन पर सुंदर साड़ी थी
काजू, मेवा सब ही सस्ते
भूख कभी ना लगती थी
दुख कितना मेरे जीवन में
खोज रही थी मथिया पर
एक गाँव में देखा मैंने
सुख को बैठे खटिया पर।
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