यदि अण्णा का आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ है
तो खबर का सौदा करने वाले अखबार
और चैनल दोनों को
कायदे से अण्णा के खिलाफ होना चाहिए।
यदि वास्तव में यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ है
तो देश के उद्योगपतियों और धनबलियों को
इस आंदोलन के खिलाफ होना चाहिए,
यदि वास्तव में यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ है
तो जिन एनजीओ के खुद के अकाउंट
दुरुस्त ना हों,
जिन एनजीओ में हिसाब किताब को लेकर
पारदर्शिता ना बरती जाती हो,
उन सबको इस आंदोलन से डरना चाहिए,
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यदि आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ है
तो विकास के पैसों के कमिशन से
अपना धन जोड़ने वाले नेताओं को
इससे दूर रहना चाहिए।
क्या ऐसा हो रहा है
यदि नहीं तो आंदोलन कागजी सफलता पा ले
लेकिन उसकी वास्तविक सफलता संदिग्ध होगी।