गुरुवार, 30 सितंबर 2010

शनिवार, 25 सितंबर 2010

हिंदी मंच पर विवादित एक कविता


कोई कवि हैं एम्० सी० गुप्ता 'खलिश साहब उनकी इस कविता पर इस समय कुछ मंचीय कवियों को आपत्ति है....

हे हिंदी-कवि हाय तुम्हारी यही कहानी /
प्रतिक्रिया देने में भी करते मनमानी
उर्दू शायर कहते हैं इरशाद बराबर /
वाह कहते हिंदी वालों की मरती नानी

हिंदी कवि है अंधे भिखमंगे की भाँति /
बाँटें पायें रेवड़ियाँ क्या कारस्तानी
बोल प्रशंसा के मुँह से भूले न फूटें /
इक दूजे की नाहक करते खींचातानी

अपने को ही प्रेरें करते हैं गुटबंदी /
ऐसों को क्यों कविता अपनी 'खलिश' सुनानी.

क्या आप भी मानते हैं कि कविता आपत्ति लायक है?

मेरी भी आभा है इसमे: नागार्जुन

शुक्रवार, 17 सितंबर 2010

इस जज्बे को सलाम



बुधवार, 8 सितंबर 2010

फोटो पर शेर

एक मेल अशोक मालवीय की तरफ से आया। मेल दिलचस्प था सो आप सबों के साथ बांट रहा हूं, आप भी इसे बांचिय।



हर समुन्दर में साहिल नहीं होता
हर जहाज में मिसाईल नहीं होता,
अगर धीरु भाई अंबानी नहीं होते
तो हर गधे के पास मोबाईल नहीं होता।

मंगलवार, 7 सितंबर 2010

कैसा हो स्कूल हमारा: गिरीश तिवारी गिर्दा


कैसा हो स्कूल हमारा
जहां न बस्ता कंधा तोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न पटरी माथा फोड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न अक्षर कान उखाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न भाषा जख़्म उघाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां अंक सच-सच बतलाएं, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां प्रश्न हल तक पहुंचाएं, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न हो झूठ का दिखव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न सूट-बूट का हव्वा, ऐसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां किताबें निर्भय बोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
मन के पन्ने-पन्ने खोलें, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न कोई बात छुपाये, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न कोई दर्द दुखाये, ऐसा हो स्कूल हमारा

कैसा हो स्कूल हमारा
जहां न मन में मन-मुटाव हो, जहां न चेहरों में तनाव हो
जहां न आंखों में दुराव हो, जहां न कोई भेद-भाव हो
जहां फूल स्वाभाविक महके, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां बालपन जी भर चहके, ऐसा हो स्कूल हमारा

जहां न अक्षर कान उखाड़े, ऐसा हो स्कूल हमारा
जहां न भाषा जख्म उघाड़ें, ऐसा हो स्कूल हमारा
ऐसा हो स्कूल हमारा
श्रोत - मोहल्ला

बुधवार, 1 सितंबर 2010

क्या इस कॉलगर्ल वृत्ति पर सरकार की नजर नहीं है?


किसी रीत्ती देसाई का ई-मेल आज मिला। इसमें कृष्ण जन्माष्टमी शुभकामनाएं हैं और साथ में उनके स्कॉर्ट कंपनी का विज्ञापन। जिसमें दिल्ली, मुम्बई और गुजरात में एक खास रकम के बदले कॉल गर्ल उपलब्ध कराने का वादा किया गया है। इस मेल के साथ एक मोबाईल नम्बर (+919650288832)है और वेब एड्रेस भी। क्या खुलेआम चल रही इस दुकानदारी पर सरकार की नजर नहीं है। या कहीं यह भी कॉमन वेल्थ गेम की तैयारी तो नहीं है.

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम