सोमवार, 29 जून 2009
कही ये फायर स्टेशन खुद जलकर ख़ाक ना हो जाए..
यह हाशिमारा (नई जलपाईगुडी ) का फायर स्टेशन है. डर है किसी दिन यह खुद जल कर ख़ाक ना हो जाए... इसकी हालत आप भी देखिए
शनिवार, 27 जून 2009
बुधवार, 17 जून 2009
सब धोबी के कुत्ते निकले
यह कविता यूथ फॉर जस्टिस के विक्रम शील के जानिब से आई है...बात में वजन गहरा था तो आप बलौग बंधुओ की नजर कर रहा हूँ...
सिर पर आग
पीठ पर पर्वत
पाँव में जूते काठ के
क्या कहने इस ठाठ के।।
यह तस्वीर
नयी है भाई
आज़ादी के बाद की
जितनी कीमत
खेत की कल थी
उतनी कीमत
खाद की
सब
धोबी के कुत्ते निकले
घर के हुए न घाट के
क्या कहने इस ठाठ के।।
बिना रीढ़ के
लोग हैं शामिल
झूठी जै-जैकार में
गूँगों की
फरियाद खड़ी है
बहरों के दरबार में
खड़े-खड़े
हम रात काटते
खटमल
मालिक खाट के
क्या कहने इस ठाठ के।।
मुखिया
महतो और चौधरी
सब मौसमी दलाल हैं
आज
गाँव के यही महाजन
यही आज खुशहाल हैं
रोज़
भात का रोना रोते
टुकड़े साले टाट के
क्या कहने इस ठाठ के।।
शनिवार, 6 जून 2009
आपका क्या कहना है???????? (जय श्री राम)
मुस्लमान कभी भी मुहम्मद को मुहम्मदा,कुराण को कुराना,इस्लाम को इस्लामा आदि आदि नहीं कहेगे और ना ही कोइ इसाई क्राईस्ट को क्राईस्टा,बाईबल को बाईबला, रिलिज़न को रिलिज़ना आदि आदि ----- , ना ही कोई सिख गुरुनानक को गुरु नानका,ग्रन्थ साहिब को ग्रन्था-साहिबा,गुरु अर्जुन-देव को गुरु अर्जुना-देवा आदि आदि ---- कहेगा और ना ही किसी को कहने देगा किन्तु हिन्दू राम को रामा, रामायण को रामायणा , धर्म को धर्मा , योग को योगा आदि आदि कहेगे
एसा क्यों है जी????
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