शनिवार, 30 मई 2009

क्या ' कहानी' हो सकती है??????????


इस बार सिवनी (मध्य प्रदेश) जिलान्तर्गत लखनादोन जाना हुआ. वही भटकते-भटकते यह मील का का पत्थर दिखा. बात जमी. वाह कोई इसी जगह भी हो सकती है जिसका नाम कहानी हो. 'कहानी' की 'कहानी' कभी और अभी मील का पत्थर ...

शुक्रवार, 15 मई 2009

आज है विश्व कृषि पर्यटन दिवस


आज विश्व कृषि पर्यटन दिवस है, क्या आपको इस बात की जानकारी है? वैसे रोज कोई ना कोई दिवस हो तो कोई किन-किन दिवसों को याद रखे. हमारे एक साथी को जब कोई कार्यक्रम करना होता है तो पहले तारीख तय करते हैं, उसके बाद उस तारीख को कौन सा दिवस है, यह नेट की सहायता से सर्च करते हैं. फिर उनका तय कार्यक्रम उस विशेष दिवस के अवसर पर ही होता है. आज साथी से बात करते हैं, उनका कोई कार्यक्रम इस विशेष दिवस के अवसर पर हो रहा है क्या? हा हा हा ...

कहो जी कहो-मिन्ट या मिनट


पिछले दिनों पूसा (दिल्ली) जाना हुआ. उसके इन्द्रपुरी वाले प्रवेश द्वार से अन्दर जाने के दौरान गेट के पास ही किसी श्रीमान ९९११६६२६१५ का यह विज्ञापन नजर आ गया. विज्ञापन तो विज्ञापन लायक ही था लेकिन चक्कर भाई जान 'मिन्ट' का रहा. तो एक 'मिन्ट' का टाइम खोटा करके आप यह 'मिन्ट' का चक्कर एक मिनट देख ही लीजिए.

गुरुवार, 14 मई 2009

क्या कहेंगे इस तस्वीर पर



यह तस्वीर एक ब्लौगर साथी की जानिब से आई, तस्वीर बेहतर थी तो आप दोस्तो के बीच ले आया ...

मंगलवार, 12 मई 2009

कथा केन्द्रीय हिंदी संस्थान का_ मिशन १६


कल मोहल्ला पर केन्द्रीय हिंदी संस्थान से सम्बंधित एक खबर लगी थी. लगा इस बात को आगे बढ़नी चाहिए इसलिए इसे पुनः यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ-


भारत में राष्ट्रीय महत्व की संस्था केंद्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक पद की बहाली के लिए इन दिनों दिल्ली से लेकर आगरा तक में अफरा-तफरी का माहौल है। बस नयी सरकार आने से पहले किसी तरह नये निदेशक की नियुक्ति हो जाए, ऐसा संस्थान से जुड़े कुछ बड़े नाम चाहते हैं। संस्थान का साढ़े चार करोड़ का सालाना बजट और 32 लाख रुपए के तीन पुरस्कार किसी को भी अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। हाल में संस्थान से 31 अतिथि प्राध्यापकों को बाहर का रास्ता आचार संहिता के नाम पर दिखा दिया गया। ऐसे समय में अर्जुन सिंह के मानव संसाधन विकास मंत्री रहते अगले तीन दिनों में केंद्रीय हिन्दी संस्थान का निदेशक चयनित कर लिये जाने की कवायद दाल में काले की तरफ नहीं बल्कि पूरी की पूरी दाल के काले होने की तरफ संकेत है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आज (सोमवार) की शाम तीन बजे शास्त्री भवन में सर्च कमिटी की मीटिंग है। इस मीटिंग के लिए कमिटी के सदस्य प्रो दिलीप कुमार हैदराबाद से, प्रो विजय बहादुर सिंह कोलकाता से निकल चुके हैं। तीसरे सदस्य प्रो तुलसीराम जेएनयू विवि, दिल्ली से ही हैं। सर्च कमिटी द्वारा निकाले गए नामों पर कल शासी कमिटी की बैठक में चर्चा होगी और अगले दिन प्रस्तावित नाम मंत्री अर्जुन सिंह जी के पास हस्ताक्षर के लिए भेज दिये जाने की संभावना है।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान हिन्दी को लेकर काम करने वाली एक राष्ट्रीय महत्व की संस्था है, जिसके देशभर में आगरा मुख्यालय को छोड़कर दिल्ली, गुवाहाटी, दीमापुर मिलाकर कुल आठ केंद्र हैं। इस संस्थान के पूर्व निदेशक शंभुनाथ पिछले साल नवंबर में निदेशक पद से मुक्त हुए। उनके संस्थान छोड़ने से पूर्व ही नए निदेशक पद के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। समाचार पत्रों में इस संबंध में विज्ञापन भी निकल चुके थे। लेकिन नये निदेशक का चुनाव नहीं हो पाया। इस समय आगरा संस्थान के वरिष्ठ प्रोफेसर रामवीर सिंह संस्थान के कार्यकारी निदेशक हैं। पूर्व निदेशक द्वारा भाषा एवं साहित्य से संबंधित शुरू की गयी कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं उनके जाने के बाद से ही ठप हैं।

जैसा कि आप सब जानते हैं, 16 मई को चुनाव परिणाम आने के बाद नयी सरकार बनाने की कवायद शुरू हो जाएगी। सरकार किसी की बने, यह तय हो चुका है कि मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह नहीं रहेंगे। चूंकि इसके लिए वे स्वयं अनिच्छा जाहिर कर चुके हैं। लेकिन उनके मानव संसाधन मंत्री रहते-रहते नये निदेशक का चुनाव हो जाए, इसके लिए उनके करीबी माने जाने वाले कुछ साहित्यकारों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है।

नए निदेशक के चयन के लिए केंद्रीय हिन्दी संस्थान के उपाध्यक्ष रामशरण जोशी की सिफारिश पर एक समिति का गठन किया गया, जिसके सदस्य बने प्रोफेसर दिलीप सिंह, प्रोफेसर तुलसी राम और प्रोफेसर विजय बहादुर सिंह। संस्थान के सूत्रों के मुताबिक, समिति की पहली बैठक 28 अप्रैल को हुई थी, जिसमें तीन व्यक्तियों का एक पैनल बनाया गया। इस पैनल में संस्थान के दो वरिष्ठ प्रोफेसर (प्रो रामवीर सिंह और प्रो भरत सिंह) थे और एक व्यक्ति बाहर से थे। वास्तव में सारी कहानी इसी तीसरे व्यक्ति को लेकर है, जिसे निदेशक पद पर बिठाने की कवायद चल रही है। इन्हें 16 मई से पहले-पहले अर्जुन सिंह से अंतिम स्वीकृति लेकर संस्थान का निदेशक बनाने की योजना है। कुछ कमी की वजह से 06 मई को बुलायी गयी बैठक में इस पैनल को रद्द कर दिया गया। रद्द की वजह शासी समिति के सामने रखे गये सिर्फ तीन नाम बताये जाते हैं। बाक़ी आवेदनकर्ताओं के नाम को समिति के सामने भी नहीं रखा गया। पाठकों की जानकारी के लिए निदेशक पद के उम्मीदवार कई बड़े जाने-माने साहित्यकार हैं, लेकिन उनके नामों को ताक पर रख दिया गया। 06 मई की अस्वीकृति के प्रथम ग्रासे मच्छिकापातम के बाद भी 16 मई से पहले अपने उम्मीदवार को निदेशक पद पर बहाल कराने का संकल्प लेने वाले हारे नहीं है। वे चुनाव से ऐन पहले जल्दबाज़ी में नये निदेशक का चुनाव कर लेना चाहते है। द्रष्टव्य है कि निदेशक ही इस राष्ट्रीय महत्व की संस्था का सर्वेसर्वा होता है।

केंद्रीय हिन्दी संस्थान से जुड़े एक प्राध्यापक की मानें तो नए निदेशक का चयन 16 मई से पहले हो, यह चाहने वाले अभी भी सक्रिय है, क्योंकि यदि 16 तारीख के बाद नयी सरकार आयी, तब भी वे संस्थान में अपनी दावेदारी मज़बूत रखना चाहते हैं। इसलिए वे केंद्रीय हिन्दी संस्थान में निदेशक पद पर एक रबड़ स्टैम्प को बिठाना चाहते हैं, जो समय-समय पर उनकी सेवा में हाज़‍िर रहे और उनके मन मुताबिक काम करे। उम्मीद जतायी जा रही है, नया मंत्रिमंडल बनने से पहले यह लॉबी अपने मनपसंद नाम को अनुमोदित कर मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह की सहमति की मुहर लगाने के लिए भेज देगी। इस संबंध में संस्थान के उपाध्यक्ष राम शरण जोशी से बात करने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने इस संबंध में कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। अलबत्ता नये निदेशक के चुनाव में चल रही उठा-पटक को लेकर केंद्रीय हिन्दी संस्थान के लोगों में गहरा रोष है।

रविवार, 10 मई 2009

प्रभात खबर का एक पृष्ठ

शनिवार, 9 मई 2009

महँगा है किसी स्त्री को मनाना

समझ नहीं आता इस मेल का जवाब क्या दूं, सवाल ही थोडा अटपटा है मगर है मसला गंभीर, आखिर लड़कों का दिल इतना नाजुक क्यों होता है, जो मानों हमेशा पिघलने को तैयार होता है. दूसरी तरफ लड़कियां हैं...


वल्ल्लाह क्या कहें ... आप खुद ही देख लें उनको खुश करने के लिए क्या-क्या करना पङता है... मेल के अनुसार लड़कियां २५ रूपये में पुरूष का दिल जीत सकती है और लड़कों के लिए पूछिए मत ...

मीडिया स्कैन का हरियाणा अतिरिक्त अंक

दोस्तों, मीडिया स्कैन का इसी महीने एक अतिरिक्त (विशेष) अंक आने वाला है. जो हरियाणा पर विशेष होगा. यदि आपके पास हरियाणा के कला-संस्कृति-मीडिया से जुडी कोई विशेष जानकारी है, जो आप मीडिया स्कैन के पाठकों के साथ बांटना चाहते हैं तो अपनी रचना हमें मेल कीजिए- o8mediascan@gmail.कॉम

कोशिश कीजिए आपके द्वारा भेजी गई सामग्री हमतक ११ मई की रात १२ बजे तक पहुँच जाए. आप चाहे तो सामग्री हरियाणवी में भी भेज सकते हैं...

बुधवार, 6 मई 2009

चुनाव आयोग ध्यान दे (जागो हिन्दू जागो)

'जागो हिन्दू जागो', ये पर्चे दिल्ली के तिमारपुर के आस-पास के क्षेत्रों में बांटे जा रहे हैं. इन पर्चों का इस क्षेत्र में बंटना क्या चुनाव आचार संहिता का उल्लघन नहीं है?

आयोग को इस विषय को संज्ञान में लेकर उचित कार्यवाही करनी चाहिए.

मुझे नहीं लगता कि दिल्ली की पढ़ी-लिखी जनता पर इन मूढ़-मगज वाली सूचनाओं का कुछ प्रभाव पडेगा, वे वोट उसे ही देंगे जिनको वोट देना उन्होंने तय किया होगा.

एकदम फ्रेश (तटका) माल है_ नारों का

अब चुनाव का मौसम ख़त्म होने वाला है. कल दिल्ली में चुनाव है... जब तक सरकार नहीं बन जाती आप इन नारों की जुगाली कर सकते हैं.. एकदम फ्रेश (तटका) माल है.


केंद्र की लेने चले कमान,
लालू, मुलायम, पासवान.

भाजपा की गोटी लाल,
मायावती ने चल दी चाल.


हाथी चल दी दिल्ली चाल,
मायावती भी हैं तैयार.

नीतिश जी नीतिश जी क्या हुआ आपको
बाढ़ के चक्कर में क्यों भूल गए बाढ़ को.

आँखों में सपने दिल्ली में सरकार,
शरद पवार भाई, शरद पवार.

पहले खुद ही थे टाडा जी संजय दत,
ऊपर से चढ़ गया पर टाडा अमर सिंह का रंग

भाजपा भाई बकवास है,
राम (राम विलास) लालू के पास है.

पप्पी-झप्पी का कनेक्शन क्या,
कोई ना बोले लल्ल लल्ल ला.

स्पेशल नारा
आई बी एन सेवेन चला इन्डिया टी वी की चाल ,
और अपनी चाल भी भूल गया.

रविवार, 3 मई 2009

'आई लव सेक्स' वाया औरकुट कथा

चंडी भाई के औरकुट प्रोफाइल में इस समय मित्रों की संख्या १५० है। लेकिन अब चंडी भाई का प्रोफाइल उनका नहीं रहा. उस पर किसी 'सेफाली आई लव सेक्स' का कब्जा हो गया है. तथाकथित सेफाली ने वहां अपना परिचय इन शब्दों में दिया है। 'Hi Guys i am Shefali i love sexif you want to sex chat with me then join on my site for joing relogin orkut in
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अब चंडी भाई के माध्यम से आप सबकों सतर्क रहने की सलाह ही दी जा सकती हैं. वरना हो सकता है कल आपके साथ यह हो जाए। चंडी भाई का दर्द उन्ही के शब्दों में-
आरकुट के सभी मित्रों...आप सबको मेरा आदर...स्नेह और प्रेम....(भइया...जिससे जैसा परिचय, सीनियार्टी-जूनियार्टी वाला रिश्ता हो...उस हिसाब से ग्रहण करें, बिना बुरा मानें और मुंह बिचकाए।). पिछले दिनों यकायक 25 जुलाई को जब मैंने अपनी स्क्रैपबुक ओपेन की, तो पता चला कि एकाधिक मित्रों ने जन्मदिन की बधाई भेजी है...मैं चौक गया...ये क्या कमाल हुआ...मित्रों....मेरा ऑफिशियल यानी मार्कशीट वाला जन्मदिन तो 31 मार्च को होता है और जैसा कि पिता जी ने बताया है, रियल बर्थडे 15 अगस्त को होता है...खैर...मैंने प्रोफाइल चेक किया तो पता चला कि उसकी पूरी तरह दुर्गति हो चुकी है. ब्राजील की किसी महिला...पता नहीं सच में ब्राजीलवासी की ही करतूत है या फिर किसी दिल्ली, नोएडा, गोंडा वाले का कारनामा है...ने मेरी प्रोफाइल का सत्यानाश करके मेरा जेंडर चेंज कर दिया है. न सिर्फ जेंडर चेंज किया है, बर्थडे से लेकर बाकी सब प्रोफाइल का भी कचूमर कर दिया है...पता नहीं कौन-कौन से सेक्सी लिंक दे दिए हैं और मेरा नाम भी सेक्स रख दिया....बप्पा को पता चले तो मेरी हड्डी ही तोड़ दें। पता नहीं, कैसे समझने लगे हैं कि उनका लाडला ऐसा-वैसा काम कर सकता है. ख़ैर, उनसे कम डर अपनी बीवी और जान-ए-तमन्नाओं से भी नहीं है, जिनके सामने बहुत मेहनत कर साफ-सुथरी इमेज बनाई है.ख़ैर...ऑरकुट से मन पूरी तरह भर गया है, बल्कि खट्टा हो चुका है, इस घटना के बाद. अब मैं अपना ये एकाउंट कभी एक्सेस नहीं करूंगा. वैसे भी, ऑरकुट पहले भी एक बार धोखा दे चुका है...एक पुराने एकाउंट पर किसी साथी ने मैसेज किया, जो मैं खोल ही नहीं सका और जीवन में एक बड़ी कालिख पुत गई....इसका जिक्र मेरे उस उपन्यास में होगा, जिसे मैं पता नहीं कितने दशक बाद लिख पाऊंगा...
अब फेसबुक पर जा रहा हूं. अच्छी कम्युनिटी साइट है...मुझे तो खैर बहुत अच्छी और सेक्योर भी लगी...आप सबको भी न्योता भेज रहा हूं. कृपया मुझे वहीं पर ज्वाइन ज़रूर करें....हां इसके लिए आपको 5-7 मिनट का टाइम ज़रूर लगेगा...फेसबुक पर एकाउंट बनाने में...तो लिंक है...http://www.facebook.com/home.php?#/profile.php?id=644246973&ref=profile. आप जैसे ही इस लिंक पर क्लिक करेंगे या करेंगी, तो फेसबुक लॉगिन करने या रजिस्टर्ड करने का ऑप्शन देगा. आप औपचारिकता पूरी करने के साथ ही मेरी प्रोफाइल पर आ जाएंगे और चाहें तो मुझे दोस्त बना लीजिएगा. वैसे, आरकुट या फेसबुक ना सही...हमारी दोस्ती, साथ तो हरदम रहेगा ही...मेरा मोबाइल नंबर पहले की तरह 09350808925 है ही. बाकी चलता हूं साथी भरे मन के साथ...बहुत दिन तक साइबर वर्ल्ड को लेकर इधर-उधर खूब कॉलम लिखे...देखता हूं आज मेरा ही मामला भाई लोगों ने दुरुस्त कर दिया...खैर, कर भला तो हो भला...कभी मैंने भी कुछ गड़बड़ की होगी, जो झेल रहा हूं. वैसे चाहूं तो ये सारी गंदगी डिलीट कर फिर आरकुट पर ज़िंदा रह सकता हूं. गंदगी तो डिलीट भी कर रहा हूं, लेकिन अब इस एकाउंट पर कभी नहीं आऊंगा...किसलिए काजल की कोठरी में घुसूं...ठीक कह रहा हूं ना...इसका जवाब मुझे फेसबुक पर ही दीजिएगा...
(एक बात और...सावधान रहें...हैकर तेज़ी से काम कर रहे हैं...आप भी हो सकते हैं शिकार...इसलिए आरकुट का पासवर्ड बचाकर रखें।)

शुक्रवार, 1 मई 2009

चिराग की गजल

चिराग के लिए और उसकी रचनाओं के लिए क्या कहूं, बस इतना ही की .'चिराग का परिचय उसकी रचना दे तो ज्यादा बेहतर हो.'
अब चिराग का परिचय भी उसकी रचना दे तो ज्यादा बेहतर हो. इस बार चिराग की एक ताजा गजल. जो दो दिन पहले अजमेर यात्रा के दौरान हुई है. आप चाहे तो चिराग से बात भी कर सकते हैं- उसका मोबाइल नंबर है-
(०९८६८५७३६१२)
उनको लगता है ये चांदी और ये सोना अच्छा,
मैं समझता हूँ कि एहसास का होना अच्छा.

मैंने ये देख के मेले में लूटा दी दौलत,
मुर्दा दौलत से तो बच्चों का खिलौना अच्छा.

जिसके आगोश में घुट-घुट के मर गए रिश्ते,
ऐसी चुप्पी है बुरी, टूट के रोना अच्छा.

जिसके खो जाने से रिश्ते की उम्र बढ़ जाए,
जीतनी जल्दी हो उस अभिमान का खोना अच्छा.

अश्क तेजाब हुआ करता है दिल में घुटकर,
दिल गलाने से पलकों का भिगोना अच्छा.

मेरे होते हुए भी कोई मेरा घर लुटे,
फिर तो मुझसे मेरे खेतों का ड़रोना अच्छा.

जबकि हर पेड़ फकत बीच में उगना चाहे,
ऐसे माहौल में इस बाग़ का कोना अच्छा.

राम खुद से भी पराए हुए राजा बनाकर,
ऐसे महलों से वो जंगल का बिछौना अच्छा.

उसके लगने से मेरा मन भी संवर जाता था,
अब के श्रृंगार से अम्मा का डिठौना अच्छा.

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम