शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2007

बब्बर शेर

जालिम तेरे रोने की अदा से लगता है,
तुने सीने में मगरमच्छ का दिल लगा रखा है।

तुझसे गिला नहीं है, प्रिया के छोटे भाई,
मुझसे ही तुझको बीस का नोट देते नहीं बना।

आसमान में तारें हैं, जमीं पर आदमी है,
आसमान में तारें हैं, जमीं पर आदमी है,
जमीन के अन्दर जाकर देखो
वहाँ पानी ही पानी है,
वहाँ पानी ही पानी है।

चोर से नेता हुआ, चोर में गया बीलाय,
जो कुछ था सोई भया,
अब कुछ कहा ना जाय

प्रेम गली अति संकरी, तामें दो ना समाय,
जब वो था तब पति नहीं, पति आय वह जाय।

खुदा के बाद मुझे बस तू ही डराता है,
जब भी मुझसे मिलता है,
उधार मांग लेता है।

अधा पीया, पउआ पीया
फिर भी रहा अधूरापन,
चलो मेनका, उर्वशी वाला
सोमरस कहीं ढूंढे हम।

हर इम्तिहान के बाद दिल को यह हौसला चाहिय,
इस इम्तिमान का रिजल्ट नहीं आएगा।

हल्का हूँ तो क्या हुआ, जैसे सैन्ड़्ल एक,
बेहद तीखा स्वाद है, तू चख कर तो देख।

हमारे पैसों से हमीं को खिलाकर, हमीं से पुचाते है वे,
हमारे अंशु बतलाओ यह पार्टी कैसी थी।

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

हा हा!! :)

इष्ट देव सांकृत्यायन ने कहा…

आपके अनुभव बडे जोरदार हैं
लगता है आप नकद नहीं पुराने उधार हैं.

बेनामी ने कहा…

good work Anshu!

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम