गुरुवार, 25 अक्टूबर 2007

चार पन्नों की एक जीवंत विचार अखबार “मीडिया स्कैन”

दिल्ली के पत्रकारिता के कुछ छात्रों ने मिलकर इस चार पेज को शुरू किया है। उन छात्रों में मेरी भी कुछ भूमिका तय है। अब इस चार पेज ने अपने पांच महीने पूरे कर लिय। इसकी शुरुआत करते वक़्त एक डर था कि कहीं साथियों का यह जोश अपनी दैनिक कार्यक्रमों की वजह से बाद में मंद ना पर जाय। आपको बताते हुय हर्ष हो रहा है कि अब तक ऐसी स्थिति नहीं आई है। साथियों का उत्साह देख कर लगता है। ऐसी स्थिति आने वाली नहीं है। बाकि भविष्य को किसने देखा है। खैर यहाँ हम दे रहे है, मीडिया स्कैन के पहले अंक के साथ ब्लोगेर गिरीन्द्र के टिप्पणी को। सुधि पाठको की प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा। - आशीष कुमार 'अंशु'

15 जून, शाम 6 बजे, कुछ युवा छात्रों, पत्रकारों को सेन्ट्रल पार्क (सी।पी -दिल्ली) में जमा होना था। मौसम सुहाना था, रिम-झिम बारिस बंद हो चुकी थी। इस कारण युवा छात्रों, पत्रकारों की संख्या बढ़ गयी। तकरीबन 35-40 की संख्या हो गयी। इन सभी में उत्साह की कमी नहीं थी, अपितु कुछ करने का जज्बा इन लोगों में साफ झलक रहा था। कह सकते हैं कि सभी की जुबान तो नरम थी लेकिन तासिर एकदम गरम॥। अब बात पते की हो जाए, दरअसल सभी के इकट्ठा होने का खास मकसद था। चार पन्नों की एक जीवंत विचार अखबार का लोकार्पण होना था।अखबार को सबके सामने पेश किया गया। “मीडिया स्कैन” नाम का यह अखबार खासतौर पर इन्हीं लोगों का है। पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखने वाले इन नौजवानों की कलम मीडिया स्कैन के पहले अंक में जलवा बिखेरती नजर आयी। “मीडिया स्कैन” के अंतिम पृष्ट पर दो लेख किसी का भी ध्यान अपनी ओर खिंच सकते हैं। “पत्रकारिता के छात्र की डायरी” और “शोषण वाया बेगार गाथा....” एक अलग दुनिया से पढ़ने वालों को रु-ब-रु करा सकता है। आनंद कुमार और रुद्रेश नारायण की यह प्रस्तुति सचमुच लाजबाब है।दिल्ली जैसे महानगर में जिसे मीडिया का मक्का कहा जाता है, वहां मीडिया का स्कैन करना आखिर क्या कहता है.... ? दरअसल इस क्षेत्र में पांव पसारने के लिए कैसे-कैसे पापड़ बेलने पड़ते हैं...(वाकिफ तो होंगे हीं॥)। वहां आए एक पत्रकारिता के छात्र ने बेबाक लहजे में बताया- “दिल्ली ऊंचा सुनती है ........।” यह पहला अंक है, अभी इसे काफी आगे बढ़ना है। कुछ भी कहना अभी जल्दबाजी होगी। लेकिन इन नौजवानों के आंखों में उमड़ते सपने साफ तौर पर इशारा कर रही थी कि मीडिया स्कैन काफी दूर तक अपना जलवा बिखेरेगी।अंत में-“गज़ब ये है कि अपनी मौत की आहट नहीं सुनते वो सब के सब परीशां है,वहां पर क्या हुआ होगायहां तो सिर्फ गूंगे और बहरे लोग बसते हैंखुदा जाने यहां पर किस तरह का जलसा हुआ होगा॥”-दुष्यंत कुमार-

यदि आप इच्छुक हैं-

मीडिया स्कैन की निशुल्क प्रति के लिए, आप संपर्क कर सकते हैं-
हिमांशु शेखर (संपादक- मीडिया स्कैन ) - 09891323387

अथवा

चिराग जैन (कला संपादक- मीडिया स्कैन) - ०९८६८५७३६१२
(यह चार पेज दिल्ली के पत्रकारिता के छात्रों द्वारा निकाला जा रहा है। )

4 टिप्‍पणियां:

Ashish Maharishi ने कहा…

आशीष जी मुझे आपके अख़बार का अंक मिला और मैंने उसे पूरा चाट भी गया...वाकई बहुत उम्दा प्रयास है.. मैं आपके साथ हूँ

http://bolhalla.blogspot.com

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
Udan Tashtari ने कहा…

कल ही प्राप्त हुआ. सार्थक प्रयास लगा. बधाई एवं शुभकामनायें.

प्रदीप सिंह ने कहा…

Patrakarita pehle ki tarah ab bhi jokhim aur sangharshon se bhara hai. Jo sathi is pese me hain unki himmat ki daad dete hain. Aag se khelte raho jawano, hum aapke saath hain.
PRADEEP.SINGH

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम