अपना यह लेख मैंने ग्रामीण विकास की पत्रिका 'सोपान स्टेप' से साभार लिया है-
हरियाणा के हंसदेहर (जिला - जींद) गाँव को जिले भर में लोग इंटरनेट वाले गाँव के नाम से जानते हैं। यह पुरा गाँव अपनी वेबसाइट http://www.smartvillage.org पर ऑनलाइन है। इस तरह हंसदेहर देश का पहला मॉडल इंटरनेट विलेज बन गया है। इस गाँव का नाम जिले तक ही नहीं, गाँव के बाहर भी लोग जानने लगे हैं। अपनी इस उपलब्धी की वजह से गाँव को २००६ का i4d अवार्ड मिला। जिसे गाँव वालों की तरफ से हंसदेहर स्मार्ट विलेज प्रोजेक्ट के सूत्रधार कँवल सिंह ने भारत सरकार के पंचायती राज मंत्री मणिशंकर अय्यार्ण के हाथों से लिया। आप इस वेबसाइट को हंसदेहर गाँव का encyclopedia कह सकते हैं। गाँव के समबन्ध में हर छोटी बड़ी जानकारी यहाँ उपलब्ध है। मसलन गाँव का इतिहास, गाँव के संबंध में संक्षिप्त जानकारी, गाँव के १,०१७ नागरिकों के संबंध में तमाम जानकारी मसलन वह क्या रोजगार करते हैं, उनकी शिक्षा कहाँ तक हुई है।
लेकिन इतना कुछ वेबसाइट पर होने के बाद कमाल की बात यह है कि आपको पूरे गाँव में एक भी इंटरनेट कनेक्शन नहीं मिलेगा। गाँव वाले इंटरनेट और वेबसाइट जैसे शब्द से ठीक तरीके से परिचित नहीं हैं। इस गाँव के १२वी कक्षा के एक छात्र से जब इंटरनेट का मतलब पूछा गया तो उसने कहा, वह नहीं जनता। शब्द उसके लिय जरूर जाना पहचाना था। उसने बताया कि वेबसाइट पर गाँव के संबंध में जानकारी दी जाती है और इस पर गाँव इस पर गाँव वालों की फोटो लगाई जाती है। उसने यह भी बताया कि यह रोजगार दिलवाने में भी मददगार है। उसे इस बात कि जानकारी थी कि उसका गाँव कंप्यूटर स्क्रीन पर पर नजर आता है।
गाँव की वेबसाइट बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले कँवल सिंह की माँ चाँद कौर कहती हैं, ''समन्वय डॉट कॉम सोसायटी" की देखरेख में गाँव को इंटरनेट से जोड़ने का प्रयास किया गया था। जो असफल रहा। चाँद कौर के अनुसार समन्वय ने कुछ दिनों तक गाँव में कंप्यूटर प्रशिक्षण केन्द्र चलाया। यहाँ कंप्यूटर सीखने अच्छी संख्या में बच्चे आयें। पर गाँव वालों में इस विषय में जागरूकता में कमी की वजह से यह चल नहीं सका।
शेष कथा अगले पोस्ट में-
सोमवार, 29 अक्तूबर 2007
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1 टिप्पणी:
is website par is gaanv ki koi jaankari nahi hai........
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