रविवार, 14 अक्टूबर 2007

भूख

भूख को बेचकर कुछ लोग
रोटी कमा रहे हैं,
और भूख है खड़ी,
सरे राह
हमेशा की तरह,
भूखी, अधनंगी, क्षत-विक्षत।

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आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम