कल की बात है, जे.एन.यू. में चुनाव को लेकर प्रतिवर्ष होने वाले प्रेसीडेंसियल डीबेट में पहली बार चप्पल और जूते चले। मामला था राम का, एक चुनाव प्रत्यासी अपने एक मित्र के सवाल का जवाब देने में अतिउत्साह में आकर वह बोल गय, जो उन्हें नही बोलना चाहिय था, सवाल था राम को लेकर आपका संगठन क्या सोचता है? जवाब आया - राम भगवान् तो क्या शैतान से भी बडे थे। बस जनाब का इतना कहना। हर तरफ जय श्री राम के नारे लगने लगे। श्री राम के लिय अपशब्द बोलने वाले जनाब को अपनी गलती का अंदाजा हो गया था, उनके लिय मंच पर चप्पल और जूते लगातार आ रहे थे, उन्हें जल्दी ही मंच से उतार दिया गया। हालात को देख कर महिला प्रत्यासी इतनी घबरा गई कि उन्हें चक्कर आ गया और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा। यह सब इस शिक्षण संस्थान के इतिहास में पहली बार हुआ।
है शर्म की बात।
उससे अधीक शर्म की बात यह कि हंगामा करने वाले अधिक् छात्र बाहर से थे, एक सज्जन ने बताया कि भाई देख कर यू लग रहा है कि मंच को यह उत्पात करने वाले बाबरी मस्जिद समझ कर गीरा रहे है।
खैर, बोलने वाले ने श्री राम के लिय अपशब्द बोलकर गलत किया ही। लेकिन उनके तथाकथित अनुयाइयों ने तोड़-फोड़ करके कौन से राम का मान रखा है। उलट जे.एन. यू. की परम्परा को धक्का लगाया है। हर तरफ एक ही आवाज आ रही थी कि इस बार हो सकता है पहली बार यहाँ चुनाव पुलिस की निगारानी में होंगे। छात्र दुखी थे, फिर क्या फर्क रह जायेगा हमारे और दिल्ली विवि के चुनाव में।
गुरुवार, 1 नवंबर 2007
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
7 टिप्पणियां:
बड़ी निराशाजनक ख़बर सुनाई आपने। मैं सोच रहा था कि इस बार की चुनावी सरगर्मी भांपने के लिए जेएनयू आऊं।अब यह जूतमपैजार भी होने लगा वहां!
निराशाजनक और शर्मनाक
दोनों ही पक्षों से कहना चाहता हूं;
देखो ओ दीवानो ऐसा काम न करो
राम का नाम बदनाम ना करो
( कही चप्पल व जूते चलाने वाले, जे एन यू के सभागार को संसद तो नही समझ बैठे थे ?)
अब साहेब मति मरे तो हर जगह होते है. राम को बदनाम क्या ये तो बर्बाद करने पर तुले है. पर फ़िर भी गलती ज्यादा तो उनकी है जिन्होंने शुरुवात की.
आशीष, यह कोई नई बात नहीं है। मैं 1999 से अब तक प्रतिवर्ष जेएनयू छात्र संघ चुनाव का आनंद ले रहा हूं। वहां अध्यक्षीय भाषण में वामपंथी छात्र संगठनों और तथाकथित दलित छात्र संगठनों के प्रत्याशियों द्वारा सामान्यतया प्रतिवर्ष महात्मा गांधी, श्री राम, भारत विरोधी भाषण दिए जाते है। तब शांतिपूर्ण विरोध होते थे। अब जूतमपैजार भी होने लगे। ऐसा होना स्वाभाविक ही है।
जय श्री राम
sanjiv kr sinha ke kathan ke vaad spasht ho gaya hoga ki kyon juto se pitai ki jaroorat hai aise logo ki, jnu sada se desh virodhiyon ka garh raha hai, jo in desh virodhiyo ke liye sarkar ko karna chahiye tha majboori mein bhagwan ram ke anuyayiyo ko karna padh raha hai
एक टिप्पणी भेजें