मंगलवार, 6 नवंबर 2007
भगवान का इस्तेमाल
आज सोचा एक बात आपके साथ बाँटीं जाय जो आपके लिय हो सकता है नई नहीं हो, पर किसी ने इस विषय पर लिखने की जरूरत नहीं समझी। आपने देखा होगा राजधानी की दीवारों पर लगे भगवान के पोस्टर, जो किसी भक्ति भाव से नहीं लगाय जाते, इसके लगाए जाने का कारण है वे लोग जो यहाँ-वहां कहीं भी शू-शू करने से नहीं हिचकते। अब किसी को इस नेक काम से बचाने के लिय भगवान् का जो इस्तेमाल दिल्ली वाले कर रहे हैं, और शायद बाहर वाले भी, इस संबंध में आपका क्या ख्याल है? क्या इसे किसी भी तरह ठीक कहा जा सकता है, क्या ऐसे लोगों पर कानूनी कार्यवाही नहीं की जानी चाहिय?
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2 टिप्पणियां:
भगवान को इस्तेमाल करने ke माइने ओर तरीक़े बदल गये है
अरे भाई दुनिया मे तो लोग भगवान को भूलकर ही आये हैं।कुछ लोग ही उसतक पहुँच पाते हैं।कुछ बस परम्परायें निर्वाहन करते हैं।कुछ उधेड़बुन में रहते हैं और कुछ बिना किसी तर्क के भगवन का अस्तित्व ही नकारते हैं।आप कबतक और किन किन को इस तरह के काम से रोकियेगा।हाँ अगर आस्था फैला सकें तो काफ़ी जरूरी कामों के साथ ये काम अपने आप हो जायेगा।
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