गुरुवार, 1 मई 2008

चलो गाँव की बर्फ खाने चले ...


आपने क्या गाँव देखा है, या फ़िर सिर्फ़ कहानियो में पढ़ा है, जो भी हो आज चलिय मेरे संग गाँव की बर्फ खाने ....


















यदि आपने शहर की हवा अधिक खाई है तो गाँव के बर्फ को ज़रा कम देखियेगा, ठंड लग सकती है, या गला ख़राब हो सकता है। हा हा हा हा हा हा हा

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

हमारे नाम की दुकान राजकोट में?? वाह!!

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम