सोमवार, 5 मई 2008

एमएनसीज

वे छीन लेना चाहते हैं
हमारा जल, हमारा जंगल,
हमारी जमीन भी।










वो छीन लेना चाहते हैं
हमारी थाली से रोटी
चुटकी भर नमक
प्याज का एक अदद टूकडा
और अदद एक मिर्च भी।









और पाट देना चाहते हैं
हमारे घरों को
टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर, कंप्युटर,
एयर कन्डिशनर और अपने नैनों कारों से।




-आशीष कुमार 'अंशु'

6 टिप्‍पणियां:

डॉ .अनुराग ने कहा…

सही बात ......कम शब्दों मे........

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

पहचानिए कौन हैं वे लोग।

Udan Tashtari ने कहा…

वो कौन??? कहीं विकास की बात तो नहीं कर रहे??

आशीष भाई

नीचे चट्टानों के साथ आपकी तस्वीर-क्या जबलपुर या महाकोशल क्षेत्र में खींची गई है?? एक उत्सुक्ता है, जबलपुर का हूँ इसलिये. पहचाना सा बैकग्राउन्ड लग रहा है. :)

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

भाई साहब नमस्कार,
यह तस्वीर बुन्देलखन्ड़ का कश्मीर कहे जाने वाले गाँव करहरा कला में 'उर्मिल सेवा आश्रम' के साथी पी के सिंह द्वारा ली गई है.

आशीष कुमार 'अंशु' ने कहा…

माफ़ कीजियगा,

यह तस्वीर बुन्देलखन्ड़ का कश्मीर कहे जाने वाले चरखारी (महोबा) के एक गाँव करहरा कला में 'उर्मिल सेवा आश्रम' के साथी पी के सिंह द्वारा ली गई है.

Batangad ने कहा…

अच्छा लिख रहे हैं आप।

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम