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यह जन्मकुंडली देवप्रयाग स्थित चक्रधर जोशी जी के वेद्शाला से उपलब्ध हो पाई। चक्रधर जोशी जी देश के जाने - माने ज्योतिषियों में रहे हैं। आज भी उनके वेद्शाला में सैकडों दुर्लभ पुस्तकों की पांडुलिपियाँ प्रकाशक का इंतजार कर रही हैं।
चक्रधर जी के देहावसान के बाद पांडुलिपियों का साज-संभाल का काम उनके छोटे बेटे प्रभाकर जोशी देख रहे हैं। प्रभाकर जी पेशे से पत्रकार हैं।
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1 टिप्पणी:
आह! देश के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति कलाम ने तो अपना जन्मकुंडली ही नही बनवाई.... राजेंद्र बाबु का पैतृक घर सरकार संभाल नही पाई, लोग कुंडली संभाल रहे हैं..... हम भारत के लोग
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