मंगलवार, 26 अगस्त 2008

छुपे हुए कलाकार


इस गायक से मेरी मुलाक़ात वर्धमान (प. बंगाल) के पास ट्रेन में हुई. ये बांग्ला में एक गीत गा रहे थे, जिसका अर्थ था, प्रेम एक ऐसा रंग है जो एक बार लग जाए तो कभी छूटता नहीं. इनके गीत के साथ बाउल ( एक तरह का इकतारा) और घूँघरू की संगत के तो क्या कहने. इनका नाम असंधो दास है. ये वीरभूम स्थित जाहिरा गाँव के रहने वाले हैं. इन्हें सुनने की इच्छा मन जागृत हो गई हो तो चले जाहिरा.

2 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

प्रेम एक ऐसा रंग है जो एक बार लग जाए तो कभी छूटता नहीं
"Wah kya geet hai, bhut accha lga inke barey mey jankr, kuch ajeeb see personality , pehnava hai na, kitna kuch hai duniya mey jinke barey hum jantey tk nahee,"
thanks for sharing with us.

Regards

Udan Tashtari ने कहा…

कितने ही कलाकार ऐसे ही गुम हैं.

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम