बुद्ध की नगरी गया जाना हुआ. वही एक मन्दिर में यह सूचना पढ़ने को मिली. 'कृपया शोरगुल करना सख्त मना है'. अब भाई जान (सूचना लिखने वाले) सख्त ही करना था तो कृपया क्यों लिखा ?
अपनी ही कहते रहोगे या मेरी भी सुनोगे सरकार....!!! हम हैं दिल की आवाज़... न किसी का ज़ात जानते हैं, न किसी की औक़ात जानते हैं.... जो सही लगे, बिन्दास बोलते हैं ....
3 टिप्पणियां:
बढ़िया जी बढ़िया
शायद सूचना लेखक चाहता है कि पढ़नेवाले अनुनय और सख्ती के बीच का कोई अर्थ निकाल लें...भगवान बुद्ध ने भी तो मध्यम मार्ग का अनुसरण करने को कहा था :)
सख्ती भी नर्मी से !
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