वैसे पैसा 'यमुना एक्शन प्लान' के नाम पर यमुना नदी में भी कम नहीं बहा है. ना जाने इन तमाम एक्शन प्लानों के नाम पर कितनी कोठे -कोठियां भर गई लेकिन गंगा-यमुना-गोदावरी की स्थिति नहीं सुधरी. यह वही देश है जहां गमुना-गंगा को माँ का दर्जा मिला है.
बुधवार, 25 फ़रवरी 2009
मैली हो गई 'माँ'
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
आशीष कुमार 'अंशु'

वंदे मातरम
5 टिप्पणियां:
ना जाने इन तमाम एक्शन प्लानों के नाम पर कितनी कोठे -कोठियां भर गई लेकिन गंगा-यमुना-गोदावरी की स्थिति नहीं सुधरी. यह वही देश है जहां गमुना-गंगा को माँ का दर्जा मिला है.
सच कह दिया।
theek kaha .
सिर्फ समझने भर का फेर है
यमुना का ना
नाला का ना
कौन सी ना
ना है और
कौन सी ना
हां।
जो नाला है
वही यमुना है
जो यमुना है
वही नाला है
।
दोनों को हम
इंसानों ने ही
पाला है
फिर काहे की
ना ना है
सब हां हां है।
प्लान कोठे कोठियों के लिए ही बनता है .. नदियों के सौदर्यीकरण और शुद्धिकरण के लिए नहीं।
अंशु भैया
क्या यमुना, क्या गंगा,क्या गोमती सब की यही गति है.देखना एक दिन कोई विदेशी आएगा.इस पर फिल्म बनाएगा और कई ऑस्कर हथिया ले जाएगा.और हम खुश होकर जय हो बोलेंगे
एक टिप्पणी भेजें