गुरुवार, 5 मार्च 2009

पागल की डायरी

इन दिनों एक लम्बी कहानी पर काम कर रहा हूँ, एक्स-वाई की कहानी- यह कहानी स्त्री-पुरूष के अंतर्व्यक्तिक संबंधों पर आधारित है. इसकी एक मुख्य किरदार की मौत को आज एक साल हो गए. कहानी को 'अनगढे' रूप में पढ़ने वाले मेरे कुछ मित्रों का मानना है, मेरी कहानी के किरदार एक्स की मौत कैसे हो सकती है क्योंकि एक्स कोई व्यक्ति नहीं बल्कि एक प्रवृति नाम है. और प्रवृति कभी मरा नहीं करती. मेरे दोस्त नहीं जानते की मैं क्या खाकर एक्स की मौत को लिखता. अपने मौत की घोषणा से लेकर तारीख तय करने तक का काम एक्स ने खुद तय किया है. मैं वेद व्यास की इस कथा में सिर्फ गणेश की भुमिका में हूँ. बहरहाल, हिन्दू रीती-निति में की गई पुनर्जन्म की व्यवस्था में मेरी गहरी आस्था है.
कहानी का एक अनगढ़ पृष्ठ
आज एक्स की मौत को एक साल हो गए. पिछले साल ६ मार्च (शिवरात्रि के दिन) को उसकी मौत हुई थी. आज भी एक्स का दिया हुआ वह ५०० रूपये का नोट वाई ने संभाल कर रखा है. जिसकी वजह से अब वह एक्स का आजीवन 'उधारमंद' है. आपने कांचा इलैया का नाम सुना है. क्या आप 'सहादत' हसन मंटो (एक्स के लिए सआदत हमेशा सहादत ही रहे) को जानते हैं। खैर, वह किस्सा कभी और। एक्स पर पालागुमी साईनाथ का रंग चढ़ गया था. जब उसने प्रवीर से विदा लेकर शिवानी के 'कृष्णकली' का अंतिम अध्याय लिखा. वाई उस वक्त बेहद डर गया था. अर्थात किस्सा ख़त्म. लेकिन यह उसकी भूल थी. शो मस्ट गो ऑन. 'कृष्णकली' को कल्याणी का रूप लेने में अधिक वक्त नहीं लगा. वाई इसका चश्मदीद बना. 'तुम्हारी तरह १८ लोग और हैं मेरी जिंदगी में'. अब वाई ने तय कर लिया है- राजकमल चौधरी की 'मछली मरी हुई' को वह फिर से लिखेगा. इस बार कल्याणी डाक्टर रघुवंश की नहीं निर्मल पद्मावत की होगी. और किताब का नाम होगा- 'मछली की आँख'.

12 टिप्‍पणियां:

222222222222 ने कहा…

कहानी जल्द पूरी करो। छपने पर पढ़ेंगे।

सचिन श्रीवास्तव ने कहा…

यार ये गलत बात है... टुंगाइये न रचना जल्दी भेजिए... ये विज्ञापनी तरीका ठीक नहीं है.. एड देकर क्योरोसिटिया दिये हैं अब लगे रहो इंतजार में.. जल्दी लाइये एक्के बार में गुपडने को तैयार बैठे हैं...

Anita kumar ने कहा…

interesting

mark rai ने कहा…

thanks for invitation.i have read your story ,it is really good.

Neeraj Badhwar ने कहा…

कहानी तो अभी जारी है...लेकिन आशीष जी आपके लिखने का तरीका पसंद आया...भाषा अच्छी है..लिखते रहें।

God bless u.

mark rai ने कहा…

i love your kahaani....

hem pandey ने कहा…

आपकी कहानी पढने के लिए बहुत सारे कथाकारों को पढ़ना पढेगा . बहुत श्रमसाध्य काम है.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

किताबों के प्रति आपकी जानकारी विस्मयकारी है...बहुत अच्छा लगा...लिखते रहें....

नीरज

Kumar Mukul ने कहा…

आपका ब्‍लाग अच्‍छा लगा, हुसेन की चुनिंदा तस्‍वीरें दी हैं आपने, पुनरजन्‍म की जगह मैं रूपांतरण को मानता हूं, कहानी लिखिए तो सही

Navneet Sharma ने कहा…

Bhai Anshu ji, aapka blog sunder hai, har cheez padh kar lambi pratikriya doonga.

रंजू भाटिया ने कहा…

आपकी यह पोस्ट पढ़ी थी रोचक लगी थी और कहानी के प्रति उत्सुकता भी जाग गयी थी ...कॉमेंट्स देना रहा गया था ..अलग अंदाज़ है यह और बहुत अच्छा रोचक लग रहा है ...

अनिल कान्त ने कहा…

आपके लिखने का तरीका बहुत लाजवाब है

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम